Saturday 14 October 2017

टोन्सिल की परेशानी दूर करने के उपाय

टॉन्सिल की परेशानी एक आम समस्या हैं और ये कभी न कभी सबको होता है। वैसे तो टोन्सिल की परेशानी किसी भी उम्र में हो

सकती है परन्तु बचपन में कुछ ज्यादा होती है। टोन्सिल गले में मौजूद ग्रंथिया होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक कार्य प्रणाली का हिस्सा है।

टोन्सिल हमारे शरीर को संक्रमण से बचाते हैं। जब मुंह से किसी प्रकार के बेक्टिरिया या वायरस प्रवेश करने करते हैं तो टोन्सिल उन्हें रोक

देते है। यह काम टोन्सिल श्वेत रक्त कणों की मदद से करते है। इससे हम बीमार होने से बच जाते हैं। इस प्रकार टोन्सिल हमें बीमारी से बचाते

हैं।.

Wednesday 17 May 2017

हेयर स्पा घर पर कैसे करें

किसी के बाल आपको सॉफ्ट, सिल्की और चमकदार दिख रहें हों और आपने वजह पूछ ली तो इतराते हुए सुनने को मिलता है -हेयर स्पा।

ब्यूटी पार्लर जाकर इसके बारे में पूछते है तो हेयर स्पा कराने के चार्ज बहुत ज्यादा लगते है। लेकिन अब आप यहाँ बताये गए तरीके से घर पर

ही वही ब्यूटी पार्लर वाला हेयर स्पा आसानी से कर सकते है। महंगे ब्यूटी पार्लर के खर्च की तुलना में नगण्य खर्च में। इसके अलावा केमिकल

के दुष्प्रभाव से भी बच पाएंगे। जानिए हेयर स्पा क्या होता है और कैसे किया जाता है।

हेयर स्पा दरअसल बालों की देखभाल का एक तरीका है जिसमे मसाज, स्टीमिंग, कंडीशनिंग, शैम्पू और हेयर मास्क आदि का उपयोग

करके बालों में नई जान डाली जा सकती है। इससे बालों का रूखापन, दो मुहें बालों की समस्या, बालों का बेजान होना, रुसी (dandruf )

या बालों का गिरना (Hair Drop ) आदि दूर किये जा सकते है। कुछ समय यहाँ बताये अनुसार घर पर हेयर स्पा करने के बाद आप भी

इतराते हुए अपने सिल्की और चमकदार बालों का कारण बता सकते है – हेयर स्पा।.
हेयर स्पा करने के लिए सबसे पहले आपको आपके बालों की प्रकृति या क्वालिटी जाननी होगी। देखिये की आपके बाल ऑइली है या रूखे और बेजान या आपके बालों में डैंड्रफ है। आपके बालों की क्वालिटी के हिसाब से हेयर मास्क बनाना होगा। नीचे हर प्रकार के बालों के हिसाब से

हेयर मास्क बनाने के तरीके बताये गए है। उनमे से आप आसानी आपके लिए हेयर मास्क से चुन सकते है ।
हेयर स्पा कैसे करें – Locks Health spa kaise kare

हेयर स्पा करने के लिए बालों और सिर की मसाज की जाती है। फिर स्टीम देकर ऑइल को जड़ों तक पहुचाया जाता है। इसके बाद शैम्पू

करके बालों में कंडीशनर या हेयर मास्क लगाया जाता है । कंडीशनिंग और हेयर मास्क सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते है। अतः इन्हे जरूर

लगाना चाहिए। इन सब में कौनसी चीजों का उपयोग होता है और ये सब कैसे और कितने समय तक किये जाते है आइये देखें
1. मसाज या मालिश

सबसे पहला स्टेप है हेयर मसाज। बालों की जड़ों में ऑइल मसाज की जाती है ताकि ऑइल जड़ों में जाकर पोषण दे और इससे ब्लड

सर्क्युलेशन भी सुधरता है। इसके लिए ऑलिव ऑइल अच्छा रहता है पर ये न हो तो नारियल का तेल ले सकते है। ऑइल को गुनगुना करके

रुई ( 100 % cotton golf ball ) की सहायता से लगा कर हल्के हाथ से अँगुलियों के पोरों से पूरे सिर पर बालों की जड़ों में मालिश करें। 10 -15 मिनट

मालिश के बाद थोड़ा रिलैक्स करें। कम से कम आधा घंटे तेल को लगा रहने दें। यदि रात को ही तेल की मसाज कर सकते हों तो और भी

अच्छा रहेगा।.

2 .  स्टीमिंग

ये दूसरा स्टेप है। इसके लिए गर्म पानी में तौलिया या मोटा कपड़ा भिगोकर निचोड़ लें। इसे अपने बालों के चारों तरफ लपेट लें। पांच मिनट
रखें फिर वापस गर्म पानी में भिगोकर निचोड़े और लपेट लें। इस तरह तीन-चार बार स्टीम करें। इससे तेल बालों की जड़ों में अंदर तक पहुँच
कर बालों को पोषण देगा।
3. शैम्पू

ये तीसरा स्टेप है। स्टीमिंग के बाद किसी माइल्ड शैम्पू से बाल धो लें। बाल धोने के लिए गर्म पानी ना लें। इससे जड़ों को नुकसान पहुँचता है।

सर्दी के दिनों में पानी का ठंडापन निकालकर बाल धोएं।

four. कंडीशनिंग और हेयर मास्क

हेयर मास्क दरअसल एक प्रकार का कंडीशनर ही होता है जो बालों को पूरे पोषक तत्व देकर बालों को सिल्की और चमकदार बनाता है।.
हल्के गीले बालों में हेयर मास्क लगाएं और पूरे बालों पर आखिरी सिरे तक अच्छे से लगा दें। लगभग thirty मिनट बालों में लगा रहने दें उसके

बाद बालों को माइल्ड शैम्पू करके धो लें।
रूखे और बेजान बालों के लिए
पका हुआ केला – एक

शहद – दो चम्मच

ऑलिव ऑइल -दो चम्मच

अंडे – दो
शहद, ऑलिव ऑइल या नारियल का तेल और केला डालकर अच्छे से ब्लेंड कर लें। इसमें एक अंडा मिला लें। इसे अपने बालों में अच्छे से

लगाकर आधा घंटे रखें फिर माइल्ड शैम्पू से धो लें। जो लोग अंडा न लेना चाहें वो बाकि तीनो चीजें मिलाकर लगाएं।

ऑइली बालों के लिए

एलो वेरा पल्प – तीन चम्मच

शहद – दो चम्मच

एप्पल सिडार सिरका – एक चम्मच
तीनो को मिलाकर बालों में लगाएं। 20 मिनट बाद माइल्ड शैम्पू करके धो लें।

डैमेज व दो मुहें बालों के लिए


भीगी मेथी का पेस्ट – एक चम्मच

शहद – दो चम्मच

एलो वेरा जेल – तीन चम्मच

नारियल का तेल – तीन चम्मच
सबको मिलाकर आधा घंटे रखें। माइल्ड शेम्पू कर लें।
डेंड्रफ के लिए

दही – आधा कप

नींबू का रस – एक चम्मच

गुड़हल के ताजा पत्ते पिसे हुए – चार चम्मच

नारियल तेल – दो चम्मच
सबको मिलाकर आधा घंटे के लिए बालों में लगाकर माइल्ड शैम्पू करके धो लें।

इस तरह हेयर स्पा करने से आपके बाल चमक उठेंगे। हेयर स्पा करने के साथ पोष्टिक भोजन भी लें ताकि बालों को अंदरूनी पोषण भी मिल

सके। अंकुरित अनाज, सूखे मेवे, फल, आदि अपनी डाइट में रोज शामिल करें इनसे बालों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते है। गीले

बालों में कंघी ना करें। प्रदुषण धूल मिट्टी आदि से बालों को बचाएं। मानसिक तनाव का बालों पर बहुत प्रभाव पड़ता है अतः तनाव कम करने

की कोशिश करें। देखें खुशहाल रहने के तरीके। तेज केमिकल वाली कॉस्मेटिक सामान से बालों को बचाएं।

हेयर मास्क कैसे बनायें हेयर स्पा के लिए

हेयर मास्क हेयर स्पा के समय लगाया जाने वाला पैक होता है। हेयर मास्क लगाने से पहले हेयर स्पा में ऑइल मसाज की जाती है फिर

शैम्पू किया जाता है। उसके बाद Locks Cover up लगाया जाता है। जानिये घर पर हेयर स्पा करने का तरीका। इससे बाल सॉफ़्ट, शाइनी और

सिल्की हो जाते है। अलग अलग प्रकार के बालों के लिए अलग प्रकार का हेयर मास्क चाहिए होते है। बालों के हिसाब से सही प्रकार का

Locks Cover up यूज़ करने से ही अच्छे परिणाम मिलते है। इन्हें हर पंद्रह दिन में दुबारा लगाना चाहिए।

हेयर मास्क को लगभग आधा पौन घण्टे बालों पर लगा कर रखना चाहिए। ताकि बालों को Locks Cover up में मौजूद लाभदायक पोषक तत्व

मिल सके। इसके बाद बालों को माइल्ड शैम्पू से धोना चाहिए। बालों को तेज केमिकल वाले सौन्दर्य प्रसाधन, धूल, मिट्टी, तेज धूप, आदि से

बचाना चाहिए। नीचे बताये गए तरीकों से Locks Cover up बना कर यूज़ करने पर बालों में सुखद बदलाव देखने को मिल सकता है। यदि किसी

चीज से एलर्जी हो तो वो यूज़ ना करें। जानिए किस प्रकार के बालों के लिए कौनसा Locks Cover up उचित रहता है।

रूखे और डल बालों के लिए हेयर मास्क

बनाना एग हेयर मास्क

पका हुआ केला – एक

शहद – दो चम्मच
ऑलिव ऑइल – दो चम्मच

अंडे – दो

शहद, ऑलिव ऑइल या नारियल का तेल और केला डालकर अच्छे से ब्लेंड कर लें। इसमें एक अंडा मिला लें। इसे अपने बालों में अच्छे से

लगाकर आधा घंटे रखें फिर माइल्ड शैम्पू से धो लें। जो लोग अंडा न लेना चाहें वो बाकि तीनो लगाएं।.
मेयोनीज़ Locks Cover up


मेयोनीज़ – आधा चम्मच

दही – एक चम्मच

अंडा – एक

तीनो को मिक्स करके बालों में लगा लें। आधा घंटे बाद माइल्ड शैम्पू से धो लें।

हिबिस्कस फ्रेश फ्लावर हेयर मास्क

गुड़हल के पिसे ताजा फूल – दो चम्मच
नारियल का दूध – आधा कप

अरण्डी का तेल – एक चम्मच

सब को मिलकर बालों में लगा लें। आधा घंटे बाद माइल्ड शैम्पू करके पानी से धो लें।

ग्लिसरीन हनी हेयर मास्क

ग्लिसरीन – एक चम्मच

शहद – एक चम्मच

नारियल तेल – एक चम्मच

केला – एक

नींबू का रस – एक चम्मच
तिल का तेल – एक चम्मच

सबको मिलाकर जड़ से सिरे तक लगा लें। आधा घंटे बाद माइल्ड शेम्पू करके धो लें।

Aloe Observara Locks Cover up


एलो वेरा पल्प – 3 चम्मच

ओलिव ऑइल – four चम्मच

दूध – आधा कप

गुड़हल का जैल – एक चम्मच
सबको मिलकर आधा घंटा रखें। फिर माइल्ड शैम्पू कर लें।

ऑइली बालों के लिए हेयर मास्क

एप्पल सिडार विनेगर हेयर मास्क

एप्पल सिडार सिरका – एक चम्मच

एलो वेरा पल्प – 3 चम्मच

शहद – two चम्मच

तीनो को मिलाकर बालों में लगाएं। २० मिनट बाद माइल्ड शैम्पू करके धो लें।

ऑरेंज कर्ड हेयर मास्क
दही – दो चम्मच

ऑरेंज जूस – चार चम्मच

अंडा – एक

नारियल तेल – एक चम्मच

नींबू का रस – दो चम्मच

इन सबको मिलाकर आधा घंटे रखें। फिर माइल्ड शैम्पू से धो लें।


डैमेज व दो मुहें बालों के लिए

दाना मेथी हेयर मास्क


भीगी मेथी का पेस्ट – एक चम्मच

शहद – दो चम्मच

एलो वेरा जेल – तीन चम्मच

नारियल का तेल – तीन चम्मच




सबको मिलाकर आधा घंटे रखें। माइल्ड शेम्पू कर लें।
विटामिन “E” हेयर मास्क

विटामिन ” At the ” कैप्सुल – दो पीस

गुड़हल का जैल – दो चम्मच

एलो वेरा जैल – दो चम्मच

ऑलिव ऑइल – एक चम्मच
सबको मिलाकर लगाएं। आधा घंटे बाद माइल्ड शैम्पू करें।

कुकुम्बर हेयर मास्क

कुकुम्बर पेस्ट – चार चम्मच

नारियल का तेल – एक चम्मच

अरण्डी का तेल – एक चम्मच

बादाम का तेल – एक चम्मच

नींबू का रस – आधा चम्मच

इन सबको बालों में जड़ से सिरे लगाकर आधा घंटा रखें। फिर माइल्ड शैम्पू कर लें।

डेंड्रफ के लिए

लेमन कर्ड हेयर मास्क

दही – आधा कप

नींबू का रस – एक चम्मच

गुड़हल के ताजा पत्ते पिसे हुए – चार चम्मच

नारियल तेल – दो चम्मच

सबको मिलाकर आधा घंटे के लिए बालों में लगाकर माइल्ड शैम्पू करके धो लें।

नीम पुदिना हेयर मास्क

नीम की पत्ती का पेस्ट – दो चम्मच

पोधिने की पत्ती का पेस्ट – दो चम्मच

नींबू का रस – दो चम्मच

दही – चार चम्मच

बादाम का तेल – एक चम्मच

इन सबको मिलाकर आधा घंटे लगाने के बाद माइल्ड शेम्पू कर लें।

बाल सफ़ेद होने से ऐसे बचाएँ –

सफ़ेद बाल उम्र और अनुभव की निशानी है। अधिक उम्र होने पर बाल सफ़ेद होना शारीरिक परिवर्तन का एक हिस्सा है। लेकिन यदि कम

उम्र में ही बाल सफ़ेद होने लगते है तो बुरा लगता है। बालों में डाई लगाकर इस समस्या को हल करने की कोशिश महँगी भी पड़ती है और

सिर की त्वचा भी ख़राब होती है। इससे बाल अधिक मात्रा में सफ़ेद भी हो सकते है और बाल झड़ने भी शुरू हो सकते है।
बालों का रंग प्रत्येक व्यक्ति में अलग हो सकता है। बाल काले होने के अलावा भूरे, सुनहरे या लाल भी हो सकते है। बालों का रंग हेयर

फॉलिकल में बनने वाले मेलेनिन ( Melanin ) नामक पिगमेंट पर निर्भर होता है । उम्र के साथ जब शरीर में इस पिगमेंट का बनना बंद

हो जाता है तो बाल सफ़ेद हो जाते है। उम्र के अलावा यदि किसी और कारण से मेलेनिन बनना बंद हो जाये तो भी बाल सफ़ेद हो सकते है।

कृपया ध्यान दें: किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उस शब्द से सम्बंधित बातें विस्तार से जान सकते है

बाल सफ़ेद होने के कारण व उपाय – Gray Locks Cause As well as Treatment
Bal safed develop ke karan

आनुवंशिकता

कम उम्र में बाल सफ़ेद होने का कारण आनुवंशिकता होता है। यानि यदि ये आपके जीन्स में तो आपके बाल जल्दी सफ़ेद हो सकते है।.
अनुवांशिक समस्या का समाधान मुश्किल होता है।

लेकिन इस पर रिसर्च जारी है और निकट भविष्य में इस बात की पूरी सम्भावना है कि ऐसे जीन्स की पहचान करके बालों को सफ़ेद होने

से रोक जा सकेगा।

पौष्टिकता की कमी

बालों के स्वस्थ रहने के लिए शरीर का स्वस्थ रहना जरुरी है और पोष्टिक भोजन इसके लिए आवश्यक है। सिर की त्वचा में पहुँचने वाला

रक्त ही बालों की जड़ों को पोषण देता है। बालों के स्वस्थ बने रहने में मुख्यतः प्रोटीन की तथा कुछ विटामिन और खनिज की आवश्यकता

होती है। जिसमे मुख्यतः विटामिन The, W 12, D, At the तथा राइबोफ्लेविन, बायोटिन आदि बालों के लिए जरुरी है। खनिज में आयरन,

कैल्शियम, फास्फोरस, आयोडीन आदि होने चाहिए। इनकी कमी से बाल सफ़ेद होते है तथा बेजान और रूखे हो सकते है।
ऐसा भोजन जिसमे ये सभी शरीर को प्राप्त होंगे तो बाल स्वस्थ रहेंगे। अतः भोजन में दाल, सोयाबीन, अंडा, दूध व दूध से बने पदार्थ, हरी

सब्जियां। फल जैसे आम, खुबानी, पपीता आदि शामिल करें। इसके अतिरिक्त गाजर, टमाटर, शकरकंद आदि विटामिन The से भरपूर चीजें लेनी

चाहिए। मेवे जैसे बादाम और अखरोट आदि लें। चोकर युक्त आटा तथा अंकुरित अनाज से बहुत से लाभदायक खनिज और विटामिन मिलते है , इन्हें लें।
मानसिक तनाव


मानसिक तनाव का शरीर के सभी अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बाल भी इससे अछूते नहीं है। लंबे समय तक चिंता, टेंशन, दुःख का बालों

पर विपरीत असर पड़ता है। इससे मेलेनिन का बनना कम हो जाता है जिससे बाल सफ़ेद हो जाते है। जीवन की छोटी मोटी परेशानियों में

खुद को शांत रखने की कोशिश करें। खुशहाल रहने के तरीके जानने के लिए क्लिक करके पढें – खुशहाल जिंदगी कैसे जीयें।



कभी कभी हमें पता नहीं चलता और तनाव का प्रभाव शरीर पर पड़ना शुरू हो जाता है। योग और प्राणायाम से ये परेशानी दूर हो सकती है।

अतः इन्हें सीख कर इन्हें दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए।



वातावरण


बालों पर बाहरी प्रदुषण का बहुत असर होता है। लगातार धुल, मिट्टी या रसायन आदि के संपर्क से बालों को बहुत नुकसान पहुँचता है।

इनकी वजह से बाल सफ़ेद हो सकते है या बेजान और रूखे हो सकते है। अतः ऐसे वातावरण में बालों को कपड़े या कैप आदि से ढ़ककर रखना चाहिए।
स्मोकिंग

धूम्रपान करने से भोजन आदि से मिलने वाले पोषक तत्व जैसे आयरन, विटामिन D, विटामिन At the आदि या तो मिल नहीं पाते या जल्दी नष्ट हो

जाते है। इससे पोष्टिक भोजन लेते हुए भी शरीर के अंगों को खाने पीने का लाभ नही मिल पाता। वैसे भी धूम्रपान के गंभीर परिणाम होते है।

अतः धूम्रपान तुरंत बंद कर देना चाहिए।

बालों की गलत देखभाल

बालों की सफाई सही तरीके से होना बहुत जरुरी होता है। बालों में लगाई जाने वाली मेहंदी आदि भी बालों की प्रकृति को समझ कर उपयोग

करनी चाहिए। बालों का पीएच 5. 5 होता है। बाजार में मिलने वाली मेहंदी का पीएच कम हो सकता है। ऐसी मेहंदी लगाने पर मेहंदी से बाल

रूखे सूखे होकर गिरने लगते है ।

इसके अलावा तेज केमिकल वाले शैम्पू यूज़ करना, बार बार शैम्पू बदलना। बालों की सफाई नहीं करना, बालों में तेज खुशबू वाले तेल

आदि लगाना बालों को हानि पहुंचा सकते है। बालों में डेंड्रफ का भी तुरंत उपचार करना चाहिए। बालों के लिए लाभदायक देखभाल व

आसान घरेलु हेयर स्पा तथा हेयर मास्क आदि की जानकरी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें

बालों को काले बनाये रखने के घरेलु नुस्खे – Natural home remedies
Bal kale karne ke gharelu nuskhe

— सूखे आंवले का चूर्ण और नींबू का रस मिलाकर बालों में एक घंटे तक लगा कर रखें। फिर धो लें। शैम्पू ना लगाएं। इससे बाल लम्बे समय

तक काले बने रहते है।

— करी पत्ता को नारियल के तेल में काला होने तक गर्म करें। ठंडा होने पर छान कर बोतल में भर लें। इस तेल की नियमित मालिश करने से

बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होंगे।

— शेम्पू की जगह हर्बल सामानों का उपयोग करे जैसे आँवला, अरीठा, शिकाकाई से बालो को धोये। एक कटोरी दही में दो चम्मच

बेसन मिलाकर बालों में हल्के हाथ से जड़ों में लगाकर पॉँच मिनट बाद धोएँ। मुल्तानी मिटटी में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर उपयोग

में लाए।

— अपने आहार में नियमित रूप से आंवले का प्रयोग करे।

— तिल का तेल बालो को असमय सफ़ेद होने से बचाता है, अतः तिल का तेल बालों में लगाएं।

— पत्तागोभी का रस बालो में लगाने से असमय हुए काले बाल सफेद होने लगते है।

बालों को रंगने का प्राकृतिक तरीका – Organic Coloring
Bal kale phoned ke kaise kare

केमिकल युक्त डाई बालों के लिए बहुत हानिकारक होती है। इसकी जगह नीचे दिया प्राकृतिक नुस्खे का उपयोग करके बालों पर रंग चढ़ा

सकते है। इससे बाल मुलायम, घने, चमकदार और काले भी बने रहेंगे।

मेहंदी — एक कप

कॉफी पाउडर — एक चम्मच

पिसा कत्था — एक चम्मच

सूखे आंवले का चूर्ण — एक चम्मच

ब्राह्मी का पाउडर — एक चम्मच

सूखे पुदिने का चूर्ण — एक चम्मच

दही — एक चम्मच

नींबू का रस — एक चम्मच

इन सबको मिलाकर जरूरत के हिसाब से पानी डालकर दो घंटे के लिए भीगने के लिए लोहे की कढ़ाई में रख दें। पानी इतना ही डालें की

गाढ़ा लेप बन जाये। दो घंटे भीगने के बाद इसे बालों की जड़ में और बालों में लगा लें। डेढ़ – दो घंटे तक रखें, फिर धो लें।

शैम्पू न लगाएँ।.

आंवले का तेल घर पर बनाने की विधि

आंवले का तेल बालों के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। घर पर बना हुआ तेल अधिक फायदेमंद

होता है। यहाँ दो प्रकार से आंवले का तेल बनाने की विधि बताई गई है – हरे ताजा आंवल से तथा सूखे आवंले से।

आंवले का तेल सिर में लगाने का फायदा – Anvala Tel Benefits
कृपया ध्यान दें: किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लिक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

सप्ताह में दो या तीन बार सिर में आंवले के तेल की मालिश करनी चाहिए तथा आंवला, रीठा और शिकाकाई के पानी से सिर धोना चाहिए।

इससे बालों को बहुत लाभ होता है। आंवला, रीठा और शिकाकाई के पानी से सिर धोने का तरीका आगे बताया गया है। रात को सिर में तेल

लगाकर सुबह बालों को धो सकते है। यह प्रयोग नियमित करने से बाल गिरना बंद हो जाते है तथा असमय बाल सफ़ेद नहीं होते।

इसके अलावा बाल घने, लम्बे, तथा मुलायम और चमकदार बनते है। आंवले का तेल सिर में लगाने से आँखों को भी फायदा होता है।

सिर दर्द दूर होता है तथा दिमाग में ताजगी बनी रहती है। नकसीर की समस्या से छुटकारा मिलता है। नजले या कमजोरी के कारण

बालों का गिरना या सफ़ेद होना बंद होता है।

आंवले का तेल हरे ताजा आंवले से बनाने की विधि.
सामग्री –
आंवले का रस – 500 ग्राम

काले तिल का तेल – two hundred and fifty ग्राम

नारियल तेल – two hundred and fifty ग्राम


विधि –
हरे ताजा आंवले लाकर उनका रस निकाल लें। रस निकालने के लिए आंवले कददू कस कर लें या किसी दूसरे तरीके से गूदा निकाल कर इसे

पीस कर इसका रस निकाल लें। गुठली फेंक दें। यह रस 500 ग्राम यानि लगभग दो गिलास होना चाहिए। इसे एक बर्तन में लें और इसमें

नारियल का तेल two hundred and fifty ग्राम तथा रिफाइंड काले तिल का तेल two hundred and fifty ग्राम मिला लें। अब इसे धीमी आंच पर उबलने के लिए रखें। इतना उबालें

कि सारा पानी उड़ जाये और सिर्फ तेल बचे।

गैस बंद कर दें। ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसे बारीक़ साफ चलनी से या पतले कपड़े की मदद से छान लें। इसे बोतल में भर कर रख लें।

यह आंवले का तेल तैयार है। रात को सोते समय इस तेल की मालिश बालों की जड़ों में हल्के हाथ से करें। सुबह धो लें। यह तेल प्रयोग में लेने

से बाल काले, घने, लंबे, और रेशमी हो जाते हैं।.

आंवले का तेल सूखे आंवले से बनान

सामग्री
सूखे आंवले 100 ग्राम

काले तिल का तेल 100 मिली

नारियल का तेल 100 मिली

विधि
सूखे आंवले पंसारी के यहाँ से ले आयें। इनको थोड़ा कूटकर दो गिलास पानी में भिगो दें। लगभग 15 घंटे भीगने दें। इसके बाद पानी सहित

आंवले उबलने के लिए रखें। जब उबलते हुए पानी आधा रह जाये तब गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर आंवले थोड़ा मसल लें। अब इसे छान लें।

यह छाना हुआ पानी, काले तिल का तेल और नारियल तेल तीनो को मिलाकर उबलने के लिए रखें। जब सारा पानी जल जाये और सिर्फ तेल

बचे तो गैस बंद कर दें। ठंडा होने दें। इसे बारीक़ साफ चलनी या कपड़े से छान लें। इसे बोतल में भरकर रखें। आंवले का तेल तैयार है।.
आवंला, रीठा, शिकाकाई से बाल धोने की विधि

सामग्री
आंवला पाउडर – four चम्मच

शिकाकाई पाउडर – four चम्मच

रीठा पाउडर – two चम्मच

विधि
दो गिलास पानी में आंवला पाउडर, शिकाकाई पाउडर तथा रीठा पाउडर रात को भिगो दें। यह 10 -12 घंटे भीगना चाहिए। सुबह इनको

पानी में थोड़ा मसल लें। फिर छान लें। यह छाना हुआ पानी बाल धोने के लिए बहुत लाभदायक है। इस पानी से बाल धोने के लिए पहले गुनगुने

सादा पानी से बाल धो लें। अब तैयार किया हुआ आंवला, शिकाकाई, रीठे वाला पानी बालों में तथा बालों की जड़ों में लगाकर हल्के हाथ से

पांच मिनट मसाज करें। इसके बाद बालों को सादा पानी से धो लें। एक बार पुनः रीठे वाला पानी लगाकर फिर पांच मिनट मालिश करें और

सादा पानी से धो लें। यह एक का शेम्पू है। अतः इसे लगाने के बाद शेम्पू नहीं करें।.

चेहरे को गोरा करने और चमक लाने के उपाय

चेहरे को गोरा करना और चेहरे पर चमक लाना सभी चाहते है। इसके लिए बहुत प्रयास किये जाते है। बाजार से कई प्रकार की क्रीम लाकर

चेहरे पर लगाई जाती है। बहुत पैसे भी खर्च किये जाते है। परंतु जैसा चाहिए वैसा परिणाम नहीं मिलता। दरअसल चेहरे पर चमक नहीं होने के

कई कारण हो सकते है। क्रीम आदि से त्वचा की देखभाल सिर्फ ऊपरी स्तर तक हो पाती है । इसके अलावा सिर्फ त्वचा का रंग साफ होने से

भी चेहरा सुन्दर नहीं दिखता। जब तब अंदर से त्वचा पौष्टिक नहीं होगी उसमे खूबसूरती नहीं आ सकती।

चेहरे की चमक के लिए पौष्टिक आहार जरुरी होता है। ऐसा आहार जिसमे प्रोटीन, आयरन, विटामिन आदि शामिल हों नियमित रूप

से भोजन में शामिल होना चाहिए । अधिकतर चेहरा किसी कमी के कारण रुखा और निस्तेज नजर आता है। थकान और एक जैसी दिनचर्या

होने से भी चेहरा बुझा बुझा नजर आता है। नींद पूरी नहीं होने पर चेहरे की चमक चली जाती है। अतः नींद पूरी हो और शरीर को पर्याप्त

आराम मिले इसका ध्यान रखना चाहिए। मन की प्रसन्नता भी जरुरी होती है। इस जैसी चमक किसी भी दूसरे तरीके से नहीं आ सकती।

अतः खुद को खुश रखने का प्रयास करें। इसके लिए योग प्राणायाम आदि की मदद लेनी चाहिए। खुशहाल जिंदगी के अन्य टिप्स जानने के

लिए यहाँ क्लिक करें।
धूप और धूल मिट्टी चेहरे की स्किन को वक्त से पहले ही मुरझा सकती है। फेस स्किन को धूप और प्रदुषण से बचाना चाहिए।

पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं पीने के कारण भी चेहरे पर रूखापन आ जाता है। अतः पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। पानी कब कैसे कितना

पीना चाहिए इसे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

ब्यूटी पार्लर में या घर पर ब्लीचिंग क्रीम लगाकर चेहरे का रंग सफ़ेद करने का फैशन प्रचलन में है। इसके बाद फैशल और फेस पैक लगाए

जाते है। गोल्ड, सिल्वर, पर्ल और पता नहीं क्या क्या लुभावने नाम दे दिए जाते है। जिनमे निश्चित तौर पर पता नहीं होता कि ये किनसे बने है।

इनसे त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है । हो सकता है की इससे एक बार के लिये त्वचा गोरी नजर आए लेकिन बाद में पहले से भी ज्यादा

निस्तेज हो जाती है। इसके स्थान पर प्राकृतिक घरेलु चीजों का उपयोग करके चेहरे पर चमक लाई जा सकती है । इनसे त्वचा को पोषक तत्व

मिलते है और त्वचा अंदर तक निखर जाती है।
फेस स्किन को गोरा करने व चमकाने के घरेलु नुस्खे
संतुलित पौष्टिक आहार लें। भरपूर नींद लें। मन की शांति का उपाय करेँ। और ये घरेलु नुस्खे अपनाएं। चेहरा अवश्य दमकता रहेगा।

— तीन चम्मच चिरोंजी, दस-बारह बादाम और तीन चम्मच चावल का आटा ये तीनो चीजें पीस कर मिलाकर रख लें। एक चम्मच ये मिश्रण

चौथाई कप दूध में लगभग एक घंटे भिगो दें। इस लेप को चेहरे पर दस-पंद्रह मिनट लगाकर पानी से धो लें चेहरा खिल उठेगा।

— पपीते का गूदा दो चम्मच, चार चम्मच दूध, दो तीन बूँद नींबू का रस, इन सबको मिक्स करके इसे चेहरे पर लगाकर हल्की मालिश करें।

दस मिनट बाद पानी से धो लें। चेहरा दमक उठेगा।

— ग्वार पाठा ( एलो वेरा ) का गूदा छोटी प्लेट में निकाल लें। इसे रुई से अपने चेहरे पर लगा लें। लगभग आधे घंटे बाद धो लें। चेहरा खिल

जायेगा।

— गाजर का रस और टमाटर का रस समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर कुछ दिन नियमित लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है।

दाग धब्बे झाइयाँ मिटाने के उपाय

दाग धब्बे व झाइयाँ ( Dag Dhabbe Jhaiya ) चेहरे की ख़ूबसूरती ( Encounter elegance ) बिगाड़ कर रख देते है। चेहरे पर दाग या धब्बे होने

के कई कारण हो सकते है। जिसमे मेलेनिन का अधिक बनना, धूप में अधिक देर रहना, हार्मोन की गड़बड़ी, गर्भावस्था, कुछ विशेष दवाएं,

विटामिन की कमी, नींद की कमी, टेंशन आदि शामिल है। इन दाग धब्बों के कारण शर्मिंदगी महसूस होने लगती है। आत्म विश्वास कम होने

लगता है।.
इसलिए जरुरी है की जहाँ तक संभव हो चेहरे पर होने वाले दाग धब्बों व झाइयों ( Jhaiya ) से चेहरे को बचाया जाये। ये बहुत मुश्किल काम

नहीं है। ना ही इसके लिए आपको महंगी क्रीम लगाने की जरुरत है। इसके लिए सिर्फ थोडा सतर्क रहकर चेहरे की देखभाल की जानी चाहिए।

चेहरे को धुल-मिटटी व धूप से बचाना चाहिए। पौष्टिक भोजन, फल, मेवे, जूस आदि लेने चाहिए तथा कुछ आसान से घरेलु नुस्खे gharelu

nuskhe with regard to dag dhabbe jhaiya अपनाये जाने चाहिए। इन घरेलु देसी नुस्खों skincare ideas hindi का इस्तेमाल करके चेहरे की

ख़ूबसूरती elegance कायम रखी जा सकती है।
दाग व झाइयाँ मिटाने के घरेलु नुस्खे – Gharelu Nuuskhe With regard to Jhaiya
कृपया ध्यान दें: किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लिक करके उसके बारे में विस्तार से जानें।

नियमित रूप से इन आसान skincare ideas within hindi खूबसूरत बनाने और झाइयाँ व दाग धब्बे दूर करने के तरीके Jhaiya doorway

karne ke tareeke का उपयोग कीजिये और गोरी चमकदार मुलायम स्किन का आनंद लीजिए।

— आधा चम्मच तुलसी का रस और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर पांच मिनट लगाकर रखे फिर धो लें। सुबह शाम लगाये।

झाइयाँ और दाग धब्बे ( dag dhabbe jhaiya ) मिट जायेंगे और चेहरे की सुन्दरता ( elegance ) बढ़ेगी।

— तुलसी, नीम व बेर के दस-दस पत्ते दो चम्मच दही के साथ पीसकर चेहरे पर लगा ले। दस मिनट बाद धो लें। चेहरा चमक कर गोरा

( gora ) हो जायेगा। इससे acne भी ठीक होती है और झुर्रिया से भी बचाव होता है।

— संतरे के सूखे छिलके का पाउडर, बेसन, हल्दी, मुल्तानी मिटटी, चन्दन का पाउडर और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट

से हलके हाथ से साबुन की तरह चेहरे पर मालिश करके धो लें। झाइयों ( jhaiya ) के लिए ये बहुत उत्तम उपाय है।

— पांच बादाम रात को भिगो दें, दूसरे दिन छिलका हटा कर बिलकुल बारीक पीस लें। अब इसे 50 ml गुलाब जल में डाल दें। दस बूँद चन्दन का इत्र भी इसमें मिला दें। इस मिश्रण को दिन मे तीन बार चेहरे पर जहाँ भी धब्बे या झाई है वहाँ लगाये। दाग धब्बे, झाई व

chehre ke dag दूर हो जायेंगे। इसे शरीर के किसी भी हिस्से पर दाग हटाने के लिए लगाया जा सकता है।

— सेब ( apple company ) का गूदा, चन्दन पाउडर, बेसन व हल्दी मिक्स करके चेहरे पर हलके हाथ से मालिश करके धो लें। चेहरे से हर प्रकार के

दाग धब्बे ( dag dhabbe ) दूर होंगे।

— पके हुए पपीते ( papite ) का गूदा मसल कर चेहरे पर दस मिनट तक लगा कर रखें फिर धो लें। दाग ( dag ) मिटेंगे और चेहरा एकसार होगा।

— आधा चम्मच शहद, एक चुटकी नमक, दस बूँद सिरका मिलाकर चहरे पर फेस पैक की तरह लगा लें। दस मिनट बाद धो लें। ये प्रयोग

करने से एक सप्ताह में झाइयाँ ( jhaiya ) मिट जाएँगी।

— एक चम्मच जौ का आटा, दो चम्मच दूध व आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगा लें। सूखने के बाद ठन्डे पानी से धो लें।
ये एक बहुत अच्छा gora develop ka upay है।

— टमाटर का गूदा चेहरे के दाग धब्बों ( dag dhabbe ) पर घिसने से चेहरा निखर जाता है।

— खरबूजे के बीज और छिलकों को पीसकर लगाने से मुहासे ( acne )और झाइयाँ ( jhaiya ) ठीक होते है।

— उड़द मोगर का पाउडर, ग्लिसरीन, गुलाबजल और बादाम रोगन मिलाकर लगाने से चेहरा कोमल होगा व झाइयाँ दूर होंगी।

— पांच बादाम भिगोकर छिलका निकले हुए, एक चम्मच चिरोंजी, आधी टिकिया कपूर, आधा चम्मच सरसों के दाने इन सबको

मिलाकर बिलकुल बारीक पीस लें। अब इसमें गुलाब जल डालकर लेप बना लें। रोज नहाने से आधा घंटे पहले इसे चेहरे और गर्दन पर अच्छे

से मलें फिर ठन्डे पानी से धो लें। चेहरे की हर प्रकार की झाइयाँ, मुंहासे, दाग, धब्बे, झुर्रिया ठीक होंगी और चेहरा चमकदार

excellent व खूबसूरत stunning बनेगा।

— पानी पर्याप्त मात्रा में पियें। इससे शरीर से विषैले तत्व निकल जाते है और चेहरे पर चमक बनी रहती है झुर्रियां नहीं पड़ती। पानी की पर्याप्त

मात्रा कितनी होती है जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।.

फाउंडेशन कैसे लगाएँ

Skincare Ideas within hindi में फाउंडेशन एक महत्त्व पूर्ण हिस्सा है। जानिए इसके बारे में सब कुछ।

फाउंडेशन स्किन के कलर का वो मेकअप है जिसकी मदद से असमान या चेहरे की स्किन के कलर में कमियों को छुपाकर चेहरे की रंगत को

एकसार किया जा सकता है। इसकी मदद से चेहरे का रंग बदला भी जा सकता है।.
फाउंडेशन के रंग का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। अपने चेहरे पर ट्राई करके मेच करने के बाद लेना चाहिए न कि हाथ पर लगा कर। ये लूज

पाउडर, कॉम्पैक्ट पाउडर, क्रीम, लिक्विड आदि सभी तरह का आता है। आपको जिस तरह का फाउंडेशन लगाना ज्यादा आराम दायक

लगे चाहे वो पाउडर हो या क्रीम या लिक्विड वो ले सकते है। ट्राई करके देखना चाहिए और उसमे आपकी स्किन नेचुरल भी दिखनी चाहिए।


फाउंडेशन के प्रकार – Kind of Basis

शियर:

इस प्रकार के फाउंडेशन में पिगमेंट रंग सबसे कम होता है और ये ज्यादा पारदर्शी होता है। ये असमानता को नहीं छुपा सकता लेकिन

स्किन कलर के कॉन्ट्रास्ट को ठीक करता है। इसे दिन में यूज़ करना ठीक रहता है। इसमें टिंटेड मोईशचराइजर लेना चाहिए।

ये ज्यादा हेवी नहीं होने की वजह से पोर्स को बंद नहीं करता। लाइट रहता है। इसमें पिगमेंट लगभग ten percent रहता है.
लाइट और मीडियम:

ये भी बहुत ज्यादा असमानता नहीं छुपाता। इसमें पिगमेंट लगभग 15-25 % रहता है। ये लिक्विड फाउंडेशन में आता है। ये टिंटेड से थोडा रिच

होता है और कई वेरायटी में आता है। जितना लाइट होगा उतना कम कवरेज देगा लेकिन चेहरे पर ज्यादा फील नहीं होगा। चेहरे के रंग से

परफेक्ट मेच करता हुआ ही लेना चाहिय। बहुत लाइट या डार्क नहीं।

फुल:

ये पूरा अपारदर्शी होता है। ये क्रीम में आता है इसकी मदद से किसी भी प्रकार का दाग छुपाया जा सकता है। ये स्किन के किसी भी रंग को

बदल सकता है। इसमें पिगमेंट लगभग 35-50 % तक हो सकता है। इसे स्पोंज की मदद से लगाया जाता है। इस प्रकार का फाउंडेशन भारी

होने के कारण पोर्स बंद कर सकता है जिसकी वजह से ब्लैक हेड हो सकते है।


फाउंडेशन लगाने का तरीका – Basis kaise lagaye

इसे अंगुली, स्पोंज से या ब्रश से जो आपको अच्छा लगे उस तरह लगा सकते है। फाउंडेशन लगाने से पहले चेहरे को किसी जेंटल फेस वाश से

धोकर हल्का सा मोइशचराइजर लगा कर पांच मिनट बाद रुकें। फाउंडेशन लगाने से पहले कंसीलर या प्राइमर लगा सकते है।


शुरुआत में गालों पर, फॉर हेड, नाक और चिन पर लगाये। अब इसे फैला कर चेहरे को एकसार कर लें। कहीं ज्यादा कहीं कम नहीं होना

चाहिए। डार्क सर्कल, एक्ने, डार्क स्पॉट आदि का ध्यान रखते हुए इन निशानों को छुपाते हुए फैला लेना चाहिए। गर्दन वाले हिस्से को भी समान रूप से कवर करना चाहिए।

ब्लश से चेहरा कैसे निखारें

ब्लश Elegance Ideas within hindi का एक महत्त्व पूर्ण हिस्सा है। जानिए इसके बारे में सब कुछ।

ब्लश चेहरे के ग्लो को बढ़ाने के काम आता है। इसके उपयोग से चेहरे का शेप सुधारा जा सकता है। चेहरे के असंतुलन को ठीक किया जा

सकता है जैसे चाहे तो नाक की चौड़ाई कम या ज्यादा दिखाई जा सकती है। चेहरे को गोल या लम्बा दिखाया जा सकता है। इसके अलावा

चेहरे कॉम्लेक्शन को उत्साही बनाया जा सकता है। चेहरे में एक नयी जान आ जाती है।.
ब्लश क्रीम, जेल या पाउडर के रूप में मिलता है। क्रीम और जेल चेहरे पर ज्यादा देर टिकते है। ओइली स्किन के लिए पाउडर या जेल ब्लश

और ड्राई स्किन के लिए क्रीम ब्लश यूज़ करना चाहिए। पाउडर ब्लश में अधिक शेड्स मिलते है। फाउंडेशन के बाद Dry लगाया जाता है।

क्रीम और जेल ब्लश किसी भी तरह के फाउंडेशन के बाद लगा सकते है लेकिन फेस पाउडर लगाने के बाद पाउडर ब्लश ही लगा सकते

है।

ब्लश के शेड्स – tones associated with dry

Dry कई शेड्स में मिलता है । आपको आपके कॉम्प्लेक्शन के हिसाब से लाइट, मीडियम, या डार्क में चुनाव करना चाहिए.
इसके अलावा आप चेहरे को कैसा लुक देना चाहते है उस पर शेड का चुनाव निर्भर करता है। यदि आप चेहरे पर फ्रेशनेस और ग्लो दिखाना

चाहते है तो कूल शेड्स में से शेड चुनना चाहिए। इसमें गेहुएँ स्किन कलर के लिए कूल बेरीज या प्लम शेड सही रहता है। लेकिन इसके साथ

लिपस्टिक का कलर ब्राउन या ऑरेंज नहीं होना चाहिए।

वार्म कलर शेड्स गालों की रूपरेखा दर्शाने में काम आते है । इसमें गेहुएँ कलर की स्किन के लिए बर्न्ट ऑरेंज सही रहता है। स्किन के हिसाब

से ही कलर का चुनाव करना चाहिए ।

कुछ शेड्स कॉमन होते है जिन्हें युनिवर्सल कहा जाता है । इन्हें किसी भी तरह के कॉम्लेक्शन के लिए यूज़ किया जा सकता है। फेयर स्किन

के लिए पीची, गेहुएँ कलर के लिए रोज़वुड और डार्क स्किन के लिए रेड सही रहता है ।

ब्लश लगाने का तरीका – dry kaise lagayen

ब्लश लगाने के लिए अच्छी क्वालिटी का ब्रश ही यूज़ करना चाहिए तभी सही से लगेगा। सस्ते, छोटे व हल्के ब्रश या पाउडर पफ से Dry ढ़ंग

से नहीं लग पाता ।
Dry कम लगाने से शुरू करना चाहिए। कम का ज्यादा कर सकते है लेकिन ज्यादा लग गया तो कम करना मुश्किल हो जायेगा ।.
ब्लश हमेशा गाल के आँख के पास वाले उभार पर लगाया जाता है न की गाल फुलाने पर निकले गाल वाली जगह। सही जगह Dry लगाने

के लिए सिटी बजाते है वैसे होठ बाहर निकालिये, इससे गाल की सही जगह का पता चल जायेगा वही पर हलके हाथ से ब्रश लगाइए ।

यदि क्रीम या जेल ब्लश का यूज़ कर रहे है तो डॉट में लगाइए फिर थोडा फैला दीजिये किनारों पर मिक्स कर दीजिये। ब्रश को हमेशा

नाक की तरफ और कान की तरफ चलाइये ।

ब्लश नाक से नीचे नहीं लगना चाहिए और आँख के बाहरी किनारे की दूरी नाक से दूरी से कम होनी चाहिए ।

आखरी में पारदर्शी पाउडर से Dry को सेट करके नया एकसार लुक दे देना चाहिए ।



गर्भावस्था में उल्टी और जी घबराना

गर्भावस्था में उल्टी और जी घबराना बहुत आम समस्या है। गर्भावस्था की शुरुआत के महीनो में लगभग ninety % महिलाओं को उल्टी और

जी घबराने की परेशानी होती है। ज्यादातर यह हल्का फुल्का ही होता है और इसके लिए किसी विशेष उपचार की जरुरत नहीं होती।

इसका कारण इस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ना, तनाव, एसिडिटी, गंध ज्यादा आना इत्यादि हो सकते है। यह सभी को अलग तरह से यानि कम

या ज्यादा, कम देर तक या अधिक देर तक या किसी को कम दिन के लिए और किसी को अधिक दिनों तक हो सकता है। किसी को सिर्फ

जी घबराता है उल्टी नहीं होती और किसी को उल्टी भी होती है।.
यह सामान्यतया डेढ़ – दो महीने बाद शुरू होता है। ज्यादातर महिलाओं को यह चौथे महीने के बाद ठीक हो जाता है। हालाँकि कुछ को यह

पूरे समय भी हो सकता है। उल्टी होने या जी घबराने के कारण थोड़ी मुश्किल जरूर होती है पर परिवार के सदस्य और दोस्तों की मदद से

इससे आसानी से निपटा जा सकता है। बहुत ज्यादा उल्टी हो तो उपचार की आवश्यकता होती है क्योकि इसकी वजह से शरीर में पानी की

कमी होने की संभावना हो सकती है।
सामान्यतया उबकाई आने से या थोड़ी उलटी होने से बच्चे को नुकसान नहीं होता है। बच्चे को पोषक तत्व शरीर से मिलते रहते है।

बल्कि कुछ विशेषज्ञ गर्भावस्था में उल्टी होना या जी घबराने का मतलब गर्भावस्था की प्रक्रिया सही रूप से आगे बढ़ने का संकेत मानते है।

सामान्य तौर पर गर्भावस्था के शुरू के महीनो में होने वाली उल्टी या जी मिचलाने के लिए किसी टेस्ट आदि की जरूरत नहीं होती है। परंतु

यदि ऐसा बहुत ज्यादा हो या इसके कारण खाना पीना ही बंद हो जाये या तेजी से वजन गिरना शुरू हो जाये तब रक्त या पेशाब की जाँच
करवानी पड़ सकती है। क्योकि कभी कभी इसके दूसरे कारण भी हो सकते है।
गर्भावस्था में उल्टी व जी घबराना होने पर क्या करें – How to proceed

प्रेगनेंसी में थोड़ा बहुत जी मिचलाना या उल्टी हो जाना सामान्य होता है। इसके लिए किसी विशेष उपचार की जरूरत नहीं होती। खाने पीने

में और रहन सहन में थोड़ा बदलाव लाने से इनमे आराम मिलता है । नीचे लिखी कुछ बातों का ध्यान रखने से मदद मिल सकती है:

— गर्भावस्था में अपनी मर्जी से उल्टी की या जी मिचलाने की अंग्रेजी दवा ना लें । कोई भी अंग्रेजी दवा लेने से पहले डॉक्टर से जरूर

पूछ लें। जब तक ज्यादा जरूरत ना हो दवा ना लें।
— सुबह उठते समय झटके से ना उठे। सहारा लेकर धीरे से उठें। दो मिनट बैठे रहें फिर खड़े होना चाहिए।

— एक बार में अधिक भोजन ना लें। थोड़ा थोड़ा खाना चार पाँच में करके खाएं ।

— जिस भोजन में कार्बोहाइड्रेट अधिक हो ऐसा भोजन लें।

— खाली पेट बिल्कुल ना रहें। थोड़ा बहुत खाते रहने से इस परेशानी में कमी ही आती है।

— गर्म खाने में गंध आती हो तो थोड़ा ठंडा होने के बाद खाएं।

— खाना बनाते समय उबकाई आती हो तो कुछ समय के लिए खाने की कोई दूसरी व्यवस्था कर लें। या जल्दी सुबह के बजाय थोड़ी देर से

खाना बनायें। जिस सब्जी या दाल को बनाने से ज्यादा परेशानी होती हो वो ना बनायें।

— कभी कभी किसी विशेष परिस्थिति के कारण उबकाई आने लगती है। ऐसी परिस्थिति से बचने की कोशिश करें। जैसे कोई विशेष प्रकार की गंध या किसी प्रकार का तनाव आदि ।
— थकान हो जाये इतना काम न करें। थकान होने पर उल्टी और जी घबराना बढ़ सकता है।

— पानी पर्याप्त मात्रा में पियें। पानी कितना पीना चाहिए यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

— कोल्ड ड्रिंक, शराब आदि नुकसान करने वाले ठन्डे पेय ना लें।

— गर्भावस्था के समय आयरन की गोलियां शुरू करनी पड़ती है । कभी कभी इन गोलियों के कारण जी मिचलाने लगता है। ऐसे में डॉक्टर

से इनको बदल कर दूसरी तरह की दवा देने का अनुरोध कर सकते है।

— प्रेग्नेंट होने पर थोड़ा बहुत खुली और ताजा हवा में पैदल घूमना फिरना अच्छा रहता है। इससे मन भी खुश रहता है। कब्ज परेशान नहीं

करती। पेट साफ होने से जी मिचलाना कम होता है।

— कपड़े आराम दायक पहनने चाहिए।

— उल्टी होने के बाद थोड़ा सा नमक अंगुली में लेकर दांतों पर हल्का सा रगड़ कर कुल्ला कर लेना चाहिए।

गर्भवस्था में उल्टी व जी मिचलाने के घरेलु नुस्खे
Gharelu Nuskhe with regard to Early morning Illness


— चावल – 50 ग्राम धोकर एक गिलास पानी में भिगो दें। आधा घंटे बाद इसमें एक चम्मच धनिया पाउडर डाल दें। तीन-चार घंटे बाद पानी

को मसल कर छान लें। यह पानी थोड़ा थोड़ा करके चार पाँच बार में पियें । इससे उल्टी होना कम होता है।

— नींबू को काटकर बीज निकाल दें। कटे हुए नींबू पर थोड़ा सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर डालकर चूसने से उल्टी और जी मिचलाना

कम हो जाता है।

— हरा धनिया ( धनिये की पत्ती ) का रस रस निकाल कर एक एक चम्मच लेते रहने से उल्टी होना बंद होता है।

— संतरा और अनार खाने से उल्टी में आराम मिलता है।

— दो चम्मच भुने हुए चने का सत्तू पाउडर एक गिलास पानी में घोलकर इसमें स्वाद के लिए चीनी या नमक मिलाकर पीने से उल्टी और जी

घबराना कम होता है।

— नारियल पानी पीने से फायदा मिलता है। इससे एसिडिटी भी कम होती है और भरपूर पोषक तत्व भी मिलते है। नारियल पानी के पोषक

तत्व और अन्य जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।

— आधा चम्मच प्याज का रस और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर इसमें सेंधा नमक मिलाकर चाटने से उल्टी और जी मिचलाना कम

होता है।

गर्भावस्था में उल्टी व उबकाई के लिए कब डॉक्टर से संपर्क जरुरी होता है

गर्भावस्था में उल्टी होना सामान्य होता है, यह सभी को पता भी होता है। लेकिन यह भी हो सकता है की ये उलटी या उबकाई किसी और

कारण से हो रही हो। उलटी या उबकाई के दूसरे कारण जैसे यूरिन इन्फेक्शन ( UTI ) आदि हो सकते है। अतः यदि इस नीचे दिए

गए लक्षण नजर आये तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

— यदि उल्टी के साथ बुखार भी आता हो

— पीलिया के लक्षण जैसे आँखें और नाख़ून पीले नजर आना नजर आएं दिखें

— उल्टी के साथ दस्त भी हो रहे हों

— पेशाब में जलन हो या पेशाब बहुत गहरे रंग का आ रहा हो

— पेट में दर्द होता हो

— उल्टी के साथ रक्त दिखाई दे

— बहुत ज्यादा कमजोरी या बेहोशी होने जैसा महसूस हो

गर्भावस्था में उल्टी होती हो तो बाहर कैसे जाएँ

वैसे तो इस समय ज्यादा बाहर घूमना फिरना ठीक नहीं होता लेकिन फिर भी जरूरी हो तो अपने साथ जरूरत के सामान साथ लेकर जाना

चाहिए। ताकि अनावश्यक आपको या दूसरों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। अपने साथ बैग में टिशू पेपर, प्लास्टिक बैग, नींबू, नमक

हमेशा साथ रखें। इसके अलावा अपने साथ अनारदाना चूर्ण, फलों के स्वाद वाली टॉफी, पीपरमेंट की गोलिया आदि साथ रखने चाहिए।

थोड़े सूखे मेवे, बिस्किट, पानी की बोतल भी साथ रखें। बिस्किट या मेवे थोड़े थोड़े खाते रहने से उबकाई में आराम रहता है। नींबू सूंघने से

भी जी मिचलाना कम होता है।.

गर्भ निरोधक उपाय और फायदे नुकसान

गर्भ निरोधक का अर्थ है ऐसे उपाय जिन्हें अपनाने से यौन सम्बन्ध बनाने के बाद गर्भधारण ( Being pregnant ) नहीं होता। ये कंट्रासेप्टिव

कहलाते है। सम्भोग करने पर पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणु महिला के गर्भाशय में प्रवेश कर जाते है। ओवरी से अंडे का निकलना

( ओव्यूलेशन ) भी इसी समय हो तो को शुक्राणु अंडे को निषेचित कर सकते है। इससे गर्भ धारण ( get pregnant ) हो जाता है। गर्भाशय में

बच्चे का विकास होने लगता है। गर्भ निरोधक इस प्रक्रिया को रोकते है। इनके उपयोग करने से शुक्राणु अंडे को निषेचित नहीं कर पाते या

गर्भधारण के अनुकूल परिस्थिति नहीं बन पाती और गर्भधारण नहीं हो पाता है।

गर्भधारण (Pregnancy ) होने से रोकने के कई उपाय उपलब्ध है। जिनमे से कुछ पुरुष द्वारा उपयोग किये जाने के लिए होते है तथा कुछ

महिला द्वारा उपयोग में लाये जाते है। कुछ साधन यौन सम्बन्ध से होने वाली बीमारी ( Sexually Sent Illnesses – A SEXUALLY TRANSMITTED DISEASE ) तथा

यौन सम्बन्ध से फैलने वाले इन्फेक्शन ( STI ) को रोकने में सहायक होते है। इनमे कंडोम जैसे गर्भ निरोधक होते है। क्योंकि इनके उपयोग

में लिंग की त्वचा तथा योनि की त्वचा का सीधा संपर्क नहीं होता।

कुछ गर्भ निरोधक हार्मोन में बदलाव करके ओवरी से अंडे का निकलना रोक देते है, इस वजह से गर्भ धारण नहीं होता।.
जैसे गर्भ निरोधक गोलियां। कुछ गर्भ निरोधक डॉक्टर द्वारा गर्भाशय में लगाए जाते है जैसे कॉपर टी। इसके अलावा महिला और पुरुष

नसबंदी का आपरेशन करके भी गर्भ धारण रोका जा सकता है।

गर्भ निरोध के साधन की सफलता की दर अलग अलग होती है। सभी गर्भ निरोधक में कुछ प्रतिशत विफलता की संभावना अवश्य होती है।

इसके अलावा कुछ गर्भ निरोधक के साइड इफ़ेक्ट भी होते है। जिस गर्भ निरोधक के उपयोग से परेशानी ना हो उस प्रकार का गर्भ

निरोधक यूज़ करना चाहिए।

गर्भ निरोधक विशेष परिस्थितियों में उपयोग के लिए होते है। इनका दुरूपयोग यौन स्वच्छन्दता के लिए नहीं करना चाहिए। प्रकृति के दिए

हुए प्रजनन के अनमोल उपहार की गरिमा बना कर रखनी चाहिए। अन्यथा यौन सम्बन्ध आनंद की जगह शारीरिक और मानसिक

परेशानी का कारण बन सकते है। गर्भ निरोधक के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले साधन इस प्रकार है:

गर्भ निरोधक गोलियां – Contraception Tablets

गर्भ निरोधक गोलियां महिला द्वारा ली जाती है। यह गोली नियम पूर्वक रोजाना एक लेनी होती है। गोली लेने से ओवरी से अंडा निकलना बंद

हो जाता है तथा गर्भाशय का रास्ता भी अवरुद्ध हो जाता है जिससे शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाते। यह गर्भ निरोध का एक अच्छा साधन है। यदि डॉक्टर के बताये अनुसार नियमपूर्वक ये गोली ली जाये तो इसकी सफलता की दर सबसे अधिक होती है। इस गोली से कुछ

अन्य फायदे भी हो सकते है। गोली लेने में चूक ना हो इसका ध्यान रखना चाहिए ।

ये गोलियाँ हार्मोन को प्रभावित करती है अतः इसके साइड इफ़ेक्ट के रूप में कुछ अन्य प्रभाव शरीर पर पड़ सकते है। स्तन में सूजन,

जी घबराना या उल्टी होना जैसे लक्षण प्रकट हो सकते है। गोली लेने पर शरीर में हुए परिवर्तन के प्रति सावधान रहना चाहिए। डॉक्टर की

सलाह के बाद ही ये गोलियाँ लेनी चाहिए। साइड इफ़ेक्ट के बारे डॉक्टर से पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। गोलिया STI या A SEXUALLY TRANSMITTED DISEASE रोकने में

कोई भूमिका अदा नहीं करती। ये गोलिया दो प्रकार की होती है। एक जिसमे एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टिन दोनों हार्मोन होते है। तथा दूसरी

जिसमे सिर्फ प्रोजेस्टिन हार्मोन होते है। सिर्फ प्रोजेस्टिन वाली गोली दिन में एक निश्चित समय पर लेनी होती है जिसमे तीन घंटे से ज्यादा देर

नहीं होनी चाहिए।
पुरुष कंडोम – Man Condom

ये लेटेक्स से बने होते है। । यह आसानी से हर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है, उपयोग में लेने में आसान होता है तथा यह महंगा नहीं होता है।

यह सबसे अधिक उपयोग में लिया जाने वाला गर्भ निरोधक है। इसके उपयोग से यौन सम्बन्ध से फैलने वाली बीमारियों से जैसे एड्स आदि

से बचाव हो सकता है। इसे सम्भोग से पहले पुरुष द्वारा उत्तेजित लिंग पर पहना जाता है। स्खलन के बाद वीर्य और शुक्राणु इसी में इकठ्ठा हो

जाता है। इस प्रकार से निषेचन और गर्भधारण नहीं हो पाता।

कंडोम के उपयोग में स्खलन के बाद लिंग की उत्तेजित अवस्था में ही लिंग को योनि से बाहर निकाल लेना चाहिए अन्यथा वीर्य के योनि में जाने

की संभावना होती है। एक बार काम में लेने के बाद इसे फेंक देना होता है। इसे खरीदने या इस्तेमाल करने डॉक्टर की मदद की आवश्यकता

नहीं होती है। यह असफल भी हो सकता है यदि इसे लिंग पर सही तरीके से नहीं लगाया हो या यह सहवास के समय फट जाये। कंडोम के

पैकेट में इसे उपयोग करने का सही तरीका लिखा होता है। इसकी सफलता की दर अधिक होती है। कंडोम के उपयोग से शीघ्रपतन में भी

लाभ मिल सकता है।

महिला कंडोम – Woman Condom

महिला कंडोम भी पुरुष कंडोम की तरह मेडिकल स्टोर पर मिल जाते है। इसे योनि के अंदर लगाया जाता है। यह एक छोटी थैली जैसे होते

है। इसके सिरों पर रिंग होती है जिसमे से एक अंदर डालनी होती है तथा दूसरी बाहर रखनी होती है। बाहर वाली रिंग का मुँह खुला रहता है।

इससे पूरी योनि में एक दीवार सी बन जाती है । शुक्राणु इसी में रह जाते है आगे नहीं जा पाते। इस प्रकार निषेचन नहीं होता। ये पुरुष कंडोम

से कुछ महंगे होते है। इनके फटने की संभावना कम होती है।

सहवास के बाद इसे सावधानी पूर्वक निकालना चाहिए। इन्हें सहवास से लगभग आठ घंटे पहले लगाया जा सकता है। इनके उपयोग करने पर

लिंग की त्वचा और योनि की त्वचा का सीधा संपर्क नहीं होता इसलिए ये यौन सम्बन्ध से होने वाली बीमारी STI से बचाव करते है। इनकी

सफलता की दर ज्यादा होती है।

आईयूडी – Intrauterine Gadget

आईयूडी डॉक्टर द्वारा महिला के गर्भाशय में लगाए जाने वाला छोटा सा यंत्र होता है। यह गर्भाशय में गर्भ धारण नहीं हीने देता। ये दो प्रकार

के होते है कॉपर युक्त और हार्मोन युक्त। कॉपर टी ऐसी ही एक पुरानी और जानी मानी कॉपर युक्त डिवाइस है। इसी प्रकार का हार्मोन युक्त

यंत्र भी गर्भाशय में लगाया जाता है जिसके कारण गर्भ धारण नहीं होता है। ये थोड़े महंगे होते है लेकिन एक बार लगवाने के बाद कई वर्षों तक

काम देते है।
यदि गर्भ धारण करना हो तो इन्हें कभी भी निकलवाया जा सकता है। इन्हें लगवाने या निकालने के लिए डॉक्टर के पास जाना होता है।

इन्हें लगवाने के बाद शुरू में two -3 महीने तक कुछ परेशानी हो सकती है जैसे ज्यादा ब्लीडिंग, कुछ दिन पीठ में दर्द आदि। इनकी

सफलता की दर अधिक होती है। लेकिन ये STI या A SEXUALLY TRANSMITTED DISEASE से सुरक्षा नहीं देते।

हॉर्मोन के इंजेक्शन – Contraception Chance

जिस प्रकार हार्मोन की गोलियां काम करती है उसी प्रकार हार्मोन का इंजेक्शन काम करता है। यह इंजेक्शन महिला के ओवरी में बनने वाले

अंडे का निर्माण रोक देता है। इंजेक्शन लगाने के तीन महीने बाद तक गर्भ धारण से बचाव होता है। हर तीन महीने बाद इसे फिर से लगाना

होता है । नियमित रूप से ये इंजेक्शन लगवाने पर ये बहुत सफल रहते है। ये STI से नहीं बचा सकते। इसे डॉक्टर की सलाह लेकर लगवाना

चाहिए। हार्मोन के कारण साइड इफ़ेक्ट गोली से अधिक हो सकते है। जिसमे वजन बढ़ना, मासिक धर्म की अनियमितता, जी मिचलाना,

स्तन में दर्द या संवेदना, सिरदर्द आदि हो सकते है।

आपातकालीन गर्भ निरोधक गोली – Crisis Tablets

यदि बिना किसी साधन के यौन सम्बन्ध बनाया हो या कुछ गलत हो गया हो जैसे कंडोम फट गया हो या गोली लेना भूल गए हो या किसी और

कारण से अचानक पड़ने वाली आवश्यकता के लिए ये गर्भनिरोधक होते है। ये रोजाना नहीं लेने चाहिए। इन्हें मॉर्निंग आफ्टर पिल कहा जाता

है। इसे twenty-four घंटे बाद तक ले सकते है। इसके बाद seventy two घंटे तक भी इसका असर हो सकता है लेकिन संभावना आधी हो जाती है। गोली लेने के

घंटे बाद उल्टी होने पर गोली दुबारा लेनी पड़ती है। सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ये गोलियां निशुल्क

उपलब्ध होती है।

प्राकृतिक तरीके से गर्भ रोकना – Male fertility Attention Technique

यदि माहवारी निश्चित समय पर शुरू हो जाती है तब यह तरीका उपयोग में लाया जा सकता है। एक स्वस्थ महिला में ओवरी से अंडा निकलने

का एक निश्चित समय होता है। यदि उस समय यौन सम्बन्ध नहीं बनाये जाये तो गर्भ धारण नहीं होगा। ओवरी से अंडा निकलने का पता चलने

के तीन तरीके हो सकते है। दिनों की गणना, योनि के स्राव में बदलाव तथा शरीर के तापमान में बदलाव। इन तीनो का ध्यान रखने पर इस

तरीके की सफलता की दर बहुत अच्छी हो सकती है

दिनों की गणना:
यदि माहवारी twenty-eight दिन में होती है तो अंडा ओवरी से माहवारी शुरू होने के लगभग fourteen दिन बाद निकलता है। यदि इस दिन से पहले के

पाँच-छः दिन और बाद के तीन-चार दिन यौन सम्बन्ध नहीं बनाया जाये तो गर्भ धारण नहीं होता। यह लगभग 8-9 दिन का समय होता है।

इन 8 -9 दिनो को छोड़ कर यौन सम्बन्ध बनाया जा सकता है।

योनि के स्राव में बदलाव:

माहवारी ख़त्म होने के तुरंत बाद योनि में सूखापन होता है। 6 -7 दिन बाद चिपचिपा रबर जैसा स्राव महसूस होने लगता है। दो तीन दिन बाद

यह स्राव थोड़ा नर्म पड़ता है फिर गीलापन लिए फिसलन वाले स्राव में परिवर्तित हो जाता है। जिस समय फिसलन वाला स्राव महसूस हो वह

समय ओव्यूलेशन यानि अंडा निकलने का समय होता है। उसके बाद वापस चिपचिपा स्राव और फिर सूखापन आ जाता है। इस चक्र में जब

सूखापन हो तब यौन सम्बन्ध बनाने पर गर्भ धारण होने की संभावना नहीं होती है।

शरीर के तापमान में बदलाव:

जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान मामूली सा बढ़ जाता है। रोजाना तापमान लेकर लिखने पर ये अंतर महसूस हो सकता है। जब

तापमान बढ़े तो उसे ओव्यूलेशन जानकर यौन संबंध नहीं बनाने से गर्भ धारण से बचाव हो सकता है। यह तापमान सुबह नींद खुलते ही सबसे

पहले लिया जाना चाहिए। इसके लिए थर्मामीटर ऐसा होना चाहिए जो मामूली अंतर को भी सही से दिखा सके।

ये बदलाव होने के अन्य कारण भी हो सकते है। अतः ध्यान पूर्वक इस तरीके को काम में लेना चाहिए। इस तरीके की दर seventy five % से 99 % है।

इसमें निश्चित दिनों का माहवारी समय जरूरी होता है। यदि माहवारी की तारीख आगे पीछे होती रहती है तो इसके सफलता की दर कम हो

सकती है। यह तरीका शुरू में थोड़ा मुश्किल जरूर लगता है लेकिन एक बार अपने शरीर को समझने के बाद यह शानदार प्राकृतिक उपाय

बन जाता है।

सरवाइकल कैप ( डायाफ्राम ) – Cervical Limit

ये सिलिकॉन से बने छोटे कप जैसे होते है। यह योनि के अंदर डाला जाने वाला गर्भ निरोधक है जो गर्भाशय के मुंह को बंद कर देता है जिससे

शुक्राणु गर्भशय के अंदर प्रवेश नहीं कर पाते और गर्भ धारण नहीं होता। यह यौन सम्बन्ध से फैलने वाली बीमारी को नहीं रोकता। योनि में

लगाने से पहले इस पर शुक्राणु नाशक लगाना होता है तभी यह पूरी तरह कारगर हो पाता है। इसे लगाना सीखकर उपयोग करना चाहिए।

यह सम्भोग से छः घंटे पहले लगाया जा सकता है। twenty-four घण्टे के अंदर इसे निकाल कर साफ करके दुबारा काम में ले सकते है। यदि इसके

उपयोग से योनि में खुजली या जलन आदि हो तो यह सिलिकॉन या शुक्राणु नाशक से एलर्जी के कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से

सलाह लेनी चाहिए।
यदि डायाफ्राम की सही देखभाल की जाये तो एक डायाफ्राम दो साल तक काम दे सकता है। इस्तेमाल के बाद इसे गुनगुने पानी और साबुन

से धोकर साफ किया जाता है। इसके साथ वैसलीन या कोल्ड क्रीम का उपयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा ये ख़राब हो सकते है। इन्हें

सूखाने के लिए पाउडर का यूज़ भी नहीं करना चाहिए।


नसबंदी और बंध्याकरण – Vasectomy, Tubectomy

ये तरीके बहुत लंबे समय या हमेशा के लिए गर्भधारण होने से बचने के लिए होते है।

पुरुष नसबंदी में शुक्राणु का रास्ता बंद कर दिया जाता है। इस आपरेशन के बाद वीर्य तो निकलता है लेकिन उसमे शुक्राणु नहीं होते। इस

कारण से गर्भधारण नहीं होता। यह एक छोटा सा आपरेशन होता है। डॉक्टर की सलाह से आपरेशन वाले दिन ही हॉस्पिटल से छुट्टी ली जा

सकती है तथा सामान्य काम काज किये जा सकते है। गर्भ निरोध का यह बहुत अधिक सफल तरीका है।.
महिला नसम्बन्दी या बंध्याकरण में अंडे का रास्ता बंद किया जाता है। इस कारण निषेचन नहीं हो पाता। महिला के लिए भी छोटा सा

आपरेशन होता है। ये दो तरीके से हो सकता है। पहले तरीके में योनि मार्ग से फेलोपियन ट्यूब में अवरोधक डालकर अंडे का रास्ता बंद

किया जाता है। इसमें तीन महीने तक दूसरा गर्भ निरोधक उपयोग में लेने की जरुरत होती है। तथा दूसरे तरीके में फेलोपियन ट्यूब को

काटकर या बांधकर अंडे का रास्ता बंद किया जाता है। उसी दिन घर जा सकते है। ये बहुत सफल तरीके है।

बाहर स्खलन – Withdrawl Technique

कुछ लोग योनि से बाहर स्खलन ( विथड्राल मेथड ) को गर्भ निरोध का एक तरीका मानते है जो सबसे ज्यादा विफल होता है। इस तरीके में

स्खलन से पहले लिंग को बाहर निकाल लिया जाता है। इस तरीके का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योकि सहवास के समय स्खलन से पहले

भी शुक्राणु योनि में जा सकते है। तथा लिंग को बाहर निकालने के समय में गलती होने की पूरी सम्भावना होती है।

गर्भ निरोधक स्पॉन्ज – Birth control Cloth or sponge

यह पोलीयूरेथिन से बना छोटा गोलाकार स्पॉन्ज होता है जिसे योनि में रख जाता है। इसमें शुक्राणु नाशक पदार्थ होता है। जो शुक्राणुओं को

गर्भाशय में जाने से रोक देता है। सम्भोग के बाद लगभग छः घंटे तक इसे वही रहने देना होता है। लेकिन twenty-four घंटे के अंदर निकाल देना होता

है। यह STI से बचाव नहीं करता है।

वैजाइनल रिंग – Genital Diamond ring

यह एक छोटी प्लास्टिक की रिंग होती जिसे योनि में रखा जाता है। इसे तीन सप्ताह तक अंदर रख सकते है। इसमें गोलियों जैसे हार्मोन होते

है। इनका असर और साइड इफ़ेक्ट गोली जैसा ही होता है। इसे खुद लगाया जा सकता है लेकिन एक बार डॉक्टर की सलाह जरुरी होती है।

इससे STI से बचाव नहीं होता। तीन सप्ताह के बाद इसे निकाल देने पर माहवारी शुरू हो जाती है।

अगले महीने नयी रिंग उपयोग में लाई जाती है। इसके डायाफ्राम या अन्य अवरोधक की तरह खिसक जाने की चिंता नहीं होती है। यदि

माहवारी आगे खिसकानी हो तो तीन सप्ताह के फ़ौरन बाद दूसरी रिंग लगाई जा सकती है।

गर्भ निरोधक पैच – Birth control Area

यह त्वचा पर चिपकाये जाने वाला एक त्वचा के रंग का पैच होता है जिसमे हार्मोन होते है जो धीर धीरे शरीर को मिलते रहते है। यह पैच हाथ

पर या पीठ पर चिपकाया जाता है इसमें हार्मोन होने के कारण इसके हार्मोन वाले साइड इफ़ेक्ट हो सकते है। यह STI से बचाव नहीं कर

पाता है। इसे तीन सप्ताह तक चिपकाना होता है। माहवारी होने के बाद नया लगाना होता है। गोली लेना भूलने जैसी गलती इसमें नहीं होती।

त्वचा पर कुछ परेशानी हो सकती है। यह निकले नहीं इसका ध्यान रखना होता है।

गर्भ निरोधक इम्प्लांट – Birth control Implant

यह धातु का एक छोटा सा हार्मोन युक्त टुकड़ा होता है जिसे छोटे से आपरेशन से त्वचा के नीचे लगा दिया जाता है। इसमें प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन

होता है जो धीरे धीरे शरीर में प्रवाहित होता रहता है। यह तीन वर्ष तक काम करता है। फिर इसे बदलवाना होता है।

सही गर्भ निरोध का साधन कैसे चुने – Choosing birth control

सही गर्भ निरोधक का चुनाव उम्र, जरुरत, उपलब्धता, गर्भ निरोध का मकसद तथा पॉकेट पर निर्भर करता है। कंडोम का उपयोग हर

किसी के लिए इन सभी मानकों पर खरा उतरता है। यह STI और A SEXUALLY TRANSMITTED DISEASE से भी बचाव करता है। इस वजह से इसे सबसे अच्छा उपाय माना

जा सकता है। कुछ पुरुष यह समझते है की इससे संतुष्टि नहीं मिलती लेकिन यह सिर्फ मानसिक तौर पर होने वाला अहसास भर है। फिर

भी बाजार में अल्ट्रा थिन यानि बिल्कुल पतले कंडोम भी मिलते है जो कुदरती अहसास कराने के उद्देश्य से बनाये जाते है।

यदि शादी के तुरंत बाद कुछ समय बच्चा नहीं चाहते तो कंट्रासेप्टिव पिल यानि गर्भ निरोधक गोलियां ली जा सकती है। इन्हें डॉक्टर की सलाह

से ही लें। कुछ महिलाएं को गोलियाँ लेने से साइड इफ़ेक्ट हो सकते है। बच्चे को दूध पिलाने वाली माँ के लिए गोलियां सही नहीं रहती है।

यदि दो बच्चों में अंतर रखना हो तो आईयूडी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हार्मोन के इंजेक्शन का उपयोग करना भी इस समय के लिए

सही हो सकता है। परिवार पूरा हो चूका है जिससे आप संतुष्ट है तो नसबंदी या बंध्याकरण अपनाये जा सकते है।

हालाँकि गर्भ निरोधक अपना काम बखूबी करते है लेकिन दुर्घटना की संभावना होने के कारण या कुछ गलती होने के कारण 1-2 % केस में

गड़बड़ी होने की संभावना जरूर होती है। अतः किसी भी गर्भ निरोधक की सफलता की दर को 100 % सफल नहीं कहा जा सकता है।

कंडोम फटना, स्लिप हो जाना या चढाने उतारते समय गलती होना या गोली लेना भूल जाना जैसी घटनाएँ आमतौर पर हो जाती है। जो

प्रेग्नेंसी के रूप में सामने आ सकता है।

इनको ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि हार्मोन वाले गर्भ निरोधक ninety five % सफल होते है। कंडोम 99 % सफल होते है। डायाफ्राम

आदि eighty % से ninety five % सफल रहते है। सावधानी के साथ उपयोग करने पर सफलता की दर बढ़ सकती है तथा लापरवाही से कम भी हो

सकती है।.

प्रेग्नेंट होने , गर्भधारण करने के लिए क्या करना चाहिए

प्रेग्नेंट होने या गर्भधारण के लिए पुरुष के शुक्राणु द्वारा महिला के अंडे को निषेचित करना जरुरी होता है। जब पुरुष महिला के साथ

सहवास Sexual intercourse करता है तो पुरुष के लिंग से निकले वीर्य के साथ करोड़ों की संख्या में शुक्राणु Semen महिला की योनि Vagina

में चले जाते हैं। कई प्रकार की विपरीत अवस्थाओं और बाधाओं का सामना करते हुए शुक्राणु को गर्भाशय से होते हुए डिम्ब नली यानि

फेलोपियन ट्यूब तक पहुंचना होता है। इस नलिका में यदि महिला की ओवरी से निकला अंडा मौजूद होता है तो शुक्राणु उसे निषेचित

Fertilise कर सकता है।
अंडे के वहाँ उपलब्ध नहीं होने पर कुछ शुक्राणु वहाँ चार पांच दिन तक अंडे का इंतजार कर सकते हैं। इस दौरान यदि ओवरी से अंडा

निकलता है तो शुक्राणु उसे निषेचित कर सकता है। महिला का यह अंडा शुक्राणु द्वारा निषेचित होने के बाद गर्भाशय तक पहुंचता है और

गर्भाशय की दीवार पर ठहर कर वहां से पोषक तत्व प्राप्त करता हुआ भ्रूण के रूप में विकसित होने लगता हैं। इसे ही गर्भधारण करना

Prgnancy, कन्सीव करना Conceiving, बच्चा ठहरना या दिन चढ़ना आदि नामों से जाना जाता है।
प्रेग्नेंट Expecting होने की इस प्रक्रिया में समय का बहुत महत्त्व है। महिला की ओवरी Ovary से एक महीने में एक बार एक अंडा निकलता

है। यदि यह अंडा डिम्ब नली से गुजरता हुआ शुक्राणु द्वारा निषेचित नहीं हो पाता तो यह डिंब नलिका में ही नष्ट हो जाता है। यह अंडा सिर्फ

एक दिन ही जीवित रह पाता है। अतः गर्भधारण के लिए इस एक दिन का बहुत महत्त्व है। इस दिन शुक्राणु द्वारा इस अंडे का निषेचन ना हो

तो गर्भधारण नहीं होगा।

गर्भाशय की दीवार पर हर महीने रक्त और टिशू से मिलकर एक परत तैयार हो जाती है ताकि निषेचित अंडा वहां आकर भ्रूण के रूप में

विकसित हो सके। यदि निषेचित अंडा गर्भाशय में नहीं पहुंचता तो गर्भाशय की परत नष्ट होकर योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है। इसे

मासिक या माहवारी कहते हैं। यह हर महीने की प्राकृतिक व्यवस्था है। प्रेग्नेंट होने के बाद या कन्सीव करने के बाद पीरियड Time period

या माहवारी MC नहीं होती है। क्योकि भ्रूण को इस परत की जरुरत होती है। माहवारी नहीं आना गर्भधारण या प्रेगनेंसी का संकेत हो

सकता है। माहवारी के बारे में विस्तार से समझने के लिए यहाँ क्लीक करें।

कुछ शुक्राणु महिला के शरीर में लगभग तीन से छह दिन तक जीवित रह सकते हैं। यानि यदि महिला की ओवरी से जिस दिन अंडा निकलता

है उसके तीन से छह दिन पहले भी समागम के द्वारा शुक्राणु ने योनि में प्रवेश किया हो तो गर्भधारण हो सकता है।

प्रेग्नेंट होने के लिए क्या होना चाहिए – Essentials With regard to Being pregnant

— सबसे पहली जरुरत होती है कि ओवरी से एक स्वस्थ अंडा बाहर निकले। यदि ओवरी में कुछ खराबी है तो और उसमे अंडा नहीं बन पा

रहा है तो प्रेगनेंसी नहीं होगी।

— अंडा फेलोपियन ट्यूब में चलता हुआ गर्भाशय तक पहुंचना चाहिए । यदि फेलोपियन ट्यूब यानि डिम्ब नली बंद हो तो न तो शुक्राणु अंडे

तक पहुँच पाते हैं और ना ही अंडा गर्भाशय तक। इसलिए प्रेग्नेंट होना संभव नहीं हो पाता।

— अंडे के फेलोपियन ट्यूब से गुजरते समय शुक्राणु वहाँ उपस्थित होने चाहिये । डिम्ब नली में अंडे को शुक्राणु नहीं मिलेगा तो twenty-four घण्टे के

अंदर वह नष्ट हो जाता है।

— शुक्राणु में इतनी ताकत होनी चाहिए कि योनि में आने के बाद वह चलता हुआ डिम्ब नली तक पहुँच पाए तथा अंडे में प्रवेश करके उसे

निषेचित कर पाए। करोड़ों शुक्राणु में से कोई एक शुक्राणु ही अंडे को निषेचित कर पाता है।

— गर्भाशय इस लायक होना चाहिए की निषेचित अंडा वहाँ ठहर पाए और वहां खुद को भ्रूण के रूप में विकसित कर सके।

— यदि यह सारी प्रक्रिया सफलता पूर्वक हो जाती है तब भ्रूण गर्भाशय में नौ महीने में पूर्ण रूप से विकसित होकर एक बच्चे के रूप में योनि

द्वार से बाहर निकलता है।

शादी के बाद एक स्वस्थ और सुन्दर संतान की कामना सभी करते है। बहु के आने के बाद सास ससुर भी चाहते हैं जल्दी ही एक नन्हे मुन्ने की

किलकारी घर में गूंजे। क्योंकि एक छोटा बच्चा बहुत सी खुशियां बिखेरने में सक्षम होता है। बच्चे की भोली और मासूम हरकतें सभी का मन

मोह लेती हैं। परंतु कभी कभी संतान उत्पन्न होने में कुछ समस्या सामने आ जाती है। कुछ जोड़े चाहते हुए भी इस ख़ुशी से वंचित रहते हैं।

इसके लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाये तो सफलता मिलने की संभावना बढ़ सकती है।


प्रेग्नेंट होने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें –

ओव्यूलेशन – Ovulation

किसी भी महिला को गर्भधारण करना हो तो उसे अंदाजा होना चाहिए की उसकी ओवरी से अंडा कब निकलता है। यानि ओव्यूलेशन

कब होता है। ओवरी से अंडा निलकने को ओव्यूलेशन Ovulation कहते हैं। मासिक चक्र Menstrual period में सिर्फ एक बार एक

अंडा निकलता है। यदि ओव्यूलेशन का सही से पता चल जाये तो उसके अनुसार सहवास करने पर प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ सकती

है। ओव्यूलेशन के दो तीन दिन पहले से ओवुलेशन तक सहवास करने से गर्भ धारण करने की अधिकतम संभावना होती है।.

जिन महिलाओं को माहवारी नियमित होती है उन्हें ओव्यूलेशन मासिक शुरू होने से दिन से लगभग दो सप्ताह पहले होता है। जिन महिलाओ

को अनियमित मासिक धर्म Abnormal Time period होता है उनका ओव्यूलेशन का पता चलना मुश्किल होता है।



बाजार में मिलने वाले ओव्यूलेशन र्प्रेडिक्शन टेस्ट किट Ovulation Conjecture Check Package की मदद से ओव्यूलेशन का पता लगाया जा

सकता है। इसमें पेशाब की जाँच से हार्मोन में बदलाव का पता चलता है जो ओव्यूलेशन से कुछ समय पहले होता है। ओवुलेशन से 15 से forty

घंटे पहले हार्मोन में बदलाव होता है जिसका इस किट से पता चल जाता है। इसके लिए यूरिन की जाँच सुबह करनी ठीक रहती है। किट पर

उसे यूज़ करने के तरीके जानकर काम में लेना चाहिए।

ओवुलेशन पता करने का एक और तरीका टेम्परेचर मेथड होता है। इसमें रोजाना टेम्परेचर लेना होता है। जब टेम्परेचर थोड़ा सा बढ़ा हुआ

आता है तब ओवुलेशन की संभावना और गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। तापमान में मामूली परिवर्तन के कारण यह तरीका थोड़ा

मुश्किल होता है। इसके लिए सामान्य से अलग थर्मामीटर की जरुरत होती है।

योनि के स्राव Genital Release की जांच करके ओवुलेशन का पता किया जा सकता है। ओवुलेशन के समय योनि का स्राव पतला,

साफ और अधिक फिसलन वाला हो जाता है। इस परिवर्तन को महसूस करके गर्भधारण की कोशिश करने से सफल होने की संभावना

बढ़ जाती है।

ओवुलेशन के छह दिन पहले से ओवुलेशन के दिन तक रोजाना समागम करने से गर्भधारण की संभावना अत्यधिक होती है। एक दिन

छोड़कर भी कर सकते है। यह गलतफहमी है कि किसी विशेष आसन में सहवास करने से या सहवास के बाद महिला के इतनी देर तक

पीठ के बल लेटने से प्रेग्नेंट जल्दी होते हैं या उसकी संभावना बढ़ जाती है।

प्रेग्नेंट होने के लिए सहवास कब कैसे करना चाहिए – Sexual intercourse With regard to Being pregnant

शुक्राणु फेलोपियन ट्यूब में तीन से छह दिन तक जीवित रह सकते है। यानि यदि सोमवार को सहवास किया हो तो शुक्राणु गुरुवार तक

या अधिकतम रविवार तक जीवित हो सकते हैं। इन तीन से छह दिनों के समय में यदि अंडा ओवरी से निकले तो गर्भ धारण हो सकता है।

यदि ओव्यूलेशन का अंदाजा नहीं भी हो तो एक दिन छोड़कर संभोग करने से स्वस्थ शुक्राणु डिम्ब नली में हमेशा मौजूद होंगे। ऐसे में जब भी

अंडा ओवरी से बाहर निकलेगा शुक्राणु उसे निषेचित कर सकता है और इस तरह प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि रोजाना सम्भोग

करना चाहें तो यह आपकी इच्छा है परंतु इससे भी संभावना लगभग उतनी ही रहेंगी।

यदि ओव्यूलेशन का अंदाजा करके प्रेगनेंसी के लिए सम्भोग करना हो इस सम्भोग से पहले बहुत दिनों तक दूरी बना कर नहीं रखनी

चाहिए अन्यथा वीर्य में जीवित और स्वस्थ शुक्राणु की संख्या कम हो सकती है। अतः प्रेगनेंसी के लिए सहवास कर रहे हों तो उससे दो

तीन दिन पहले एक बार वीर्यपात हो जाना ठीक रहता है।

यदि प्रेगनेंसी चाहते है और सहवास के समय किसी प्रकार का लुब्रीकेंट Lubrication, तेल या कुछ और काम में ले रहें है तो ध्यान रखना

चाहिए की कुछ लुब्रीकेंट, तेल या क्रीम आदि शुक्राणु की गति में अवरोध पैदा करके उन्हें कमजोर बना सकते है। ऐसा हुआ तो प्रेग्नेंट होने

की संभावना कम हो सकती है। इस बारे में चिकित्सक से सलाह कर लेनी चाहिए।

स्वस्थ और ताकतवर शुक्राणु – Powerful Semen

गर्भधारण के लिए जरुरी है कि शुक्राणु Semen मजबूत हों, स्वस्थ हों और संख्या में कम ना हो। इसके लिए पुरुष को कुछ बातों का ध्यान

रखना चाहिए जो इस प्रकार है:

— रोजाना शराब पीने से शुक्राणु की संख्या कम हो जाती है तथा शुक्राणु कमजोर हो जाते है। इसलिए बच्चा चाहते है तो शराब पीना बंद कर

देना चाहिए। बीड़ी, सिगरेट या किसी भी प्रकार का नशा शुक्राणु को कमजोर बना सकता है अतः इन्हें बंद कर दें।

— वजन नियंत्रण में होना चाहिए। मोटापे के कारण शुक्राणु की संख्या कम हो सकती है या उनकी गतिशीलता में कमी आ सकती है।

— कुछ विशेष पोषक तत्वों से युक्त आहार लेना चाहिए जैसे जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, विटामिन D, विटामिन Deb आदि। इससे

शुक्राणु बढ़ते है और मजबूत होते है।

— गर्मी से शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं। इसलिए गर्म पानी के टब में नहीं नहाना चाहिए। ज्यादा टाइट अंडरवियर या जीन्स नहीं पहनने चाहिए।

इन सभी का कम से कम तीन महीने तक ध्यान रखें ताकि सही परिणाम हासिल हो सके।

वजन – Pounds

महिला का वजन बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन होने पर प्रेग्नेंट होने की संभावना कम हो सकती है। अतः सामान्य वजन रखने की कोशिश

करनी चाहिए। ऐसा पाया गया है कि बॉडी मास इंडेक्स BMI thirty-five से अधिक होने पर गर्भधारण की संभावना सामान्य की अपेक्षा आधी रह

जाती है और बॉडी मास इंडेक्स nineteen से कम होने पर गर्भधारण की संभावना सामान्य से चौथाई रह जाती है। ज्यादा वजन के कारण एस्ट्रोजन

हार्मोन का स्राव अधिक होता है जिसके कारण ओवुलेशन बाधित हो सकता है। बहुत कम वजन होने पर समय से मासिक धर्म और ओव्यूलेशन

में रूकावट आ सकती है।

उम्र

जैसे – जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे उस महिला के गर्भधारण करने की संभावना कम होती जाती है। thirty वर्ष की उम्र के बाद

संभावना कम होने लगती है, thirty seven वर्ष की उम्र के बाद संभावना तेजी से कम होती है और forty वर्ष के बाद ख़त्म सी होने लगती है। हालाँकि

अपवाद भी हो सकते हैं।

धूम्रपान

सिगरेट बीड़ी आदि पीने से महिला व पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। तम्बाकू में पाया जाने निकोटिन और कार्बन मोनो

ऑक्साइड महिला के अंडे को या पुरुष के शुक्राणु को नुकसान पहुंचा सकते है। यहाँ तक की किसी और के सिगरेट के धुएँ का असर भी हो

सकता है। अतः सिगरेट के धुंए से भी दूर रहना चाहिए।

तनाव

शारीरिक और मानसिक तनाव नही होने और खुश रहने से गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। इसके लिए घूमना फिरना, हल्के व्यायाम

योगासन कर सकते हैं, संगीत सुन सकते हैं या अपनी पसंद या हॉबी के अनुसार कुछ काम कर सकते हैं।

यदि लगातार एक वर्ष तक बिना गर्भ निरोधक के सप्ताह में दो तीन बार सहवास करने के बाद भी गर्भधारण ना हो तो विशेषज्ञ से सलाह

करनी चाहिए। हो सकता है प्रजनन अंग की किसी समस्या के कारण गर्भधारण नहीं हो पा रहा हो।

इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराना है, किसी भी प्रकार के उपचार के लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।.

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