Wednesday 17 May 2017

गर्भावस्था में खाना क्या खायें क्या नहीं

गर्भावस्था में खाना हमेशा संशय का कारण बनता है। खाने पीने की वस्तुओं को लेकर मन में उलझन होती है कि कौनसी वस्तु खानी चाहिए

और कौनसी नहीं। एकल परिवार का चलन अधिक होने के कारण किसी अनुभवी बड़े बजुर्ग की राय सलाह भी नहीं मिल पाती और हर छोटी

बात के लिए डाक्टर के पास भी नहीं जा सकते। गर्भधारण करने के बाद आपके खाने पीने का शिशु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। भोजन

में शामिल की जाने वाली वस्तुओं के बारे में ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है।
भोजन ऐसा हो जिससे भरपूर पौष्टिकता मिले। आपको या शिशु को किसी प्रकार की कमी नहीं हो ताकि आप और गर्भ में पल रहा शिशु दोनों

स्वस्थ रहें और सही समय पर हँसते खेलते एक स्वस्थ संतान का जन्म हो, जो आपका जीवन खुशियों से भर दे। जिस पर आप नाज कर सकें।



गर्भावस्था के दिनों में खाने की किसी चीज के लिए क्रेविंग Wanting सामान्य बात है। क्रेविंग का मतलब है आपकी प्रिय खाने की वस्तु की तीव्र

इच्छा। उस समय वह वस्तु उचित मात्रा में खाने में कोई हर्ज नहीं है परन्तु किसी भी खाने पीने की चीज से शिशु को या आपको किसी भी प्रकार

का नुकसान नहीं होना चाहिए।
हर शरीर की अलग प्रकृति होती है। आपके शरीर की प्रकृति को आपसे ज्यादा अच्छा कोई नहीं समझ सकता। अतः आपको ही यह देखना

होगा की आपको क्या खाना है और क्या नहीं लेकिन खाने की किसी भी चीज की अति करना सही नहीं होगा। अपनी पसंद का भोजन बिल्कुल

त्याग देना भी उचित नहीं होता है क्योकि आपका खुश रहना भी जरुरी है।

गर्भावस्था में खाने पीने की चीजों के लिए कुछ सामान्य नियम जरूर ध्यान में रखने चाहिए जैसे खाने की वस्तु की तासीर गर्म नहीं होनी चाहिए।

खाने पीने के सामान से कब्ज नहीं होनी चाहिए, दस्त नहीं लगे, अधिक फैट युक्त ना हो, खनिज और विटामिन से भरपूर हो तथा खाना ताजा

हो। साथ हो थोड़ी शारीरिक गतिविधि भी होनी चाहिए ताकि भोजन पच सके।

यहाँ खाने पीने की कुछ वस्तुओं के बारे में तथा प्रेगनेंसी में खाने पीने की चीजों के फायदे और नुकसान के बारे में बताया गया है ताकि

इससे आपको मदद मिल सके।

प्रेगनेंसी में खाने पीने की चीजों के फायदे और नुकसान
दूध

दूध, दही, छाछ, पनीर आदि गर्भावस्था में बहुत फायदेमंद होते हैं। इनसे कई तरह के खनिज और विटामिन प्राप्त होते हैं ।
विशेष कर ये कैल्शियम तथा विटामिन W 12 के बहुत अच्छे स्रोत होते हैं । अतः दूध रोजाना दो गिलास जरुर पियें। डेरी का दूध लेते है तो ध्यान

रखें यह पेस्चराइज़्ड होना चाहिए। दूध उबाल कर ही काम में लें तथा दूध को सही तापमान पर फ्रिज में रखना चाहिए। यदि जरा भी दूध के

बिगड़ने का शक हो तो ऐसे दूध का इस्तेमाल ना करें। अन्यथा फ़ूड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है । घी, पनीर, दही आदि भी पेस्चराइज़्ड

दूध से बने हुए ही काम में लेने चाहिए।

मक्खन मिश्री

गर्भावस्था के पहले तीन महीने में माखन मिश्री नियमित रूप से खाना बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए एक चम्मच मक्खन में एक चम्मच

मिश्री और स्वाद के अनुसार थोड़ी से पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर चाट लें। इसके बाद गीले नारियल की गिरी के एक दो टुकड़े अच्छे से चबा

चबा कर खा लें। अंत में आधा चम्मच बारीक़ सौंफ मुंह में रख कर चबायें और इसका रस निगलते रहें। इस प्रयोग से शिशु स्वस्थ रहता है तथा

वह गौर वर्ण लेकर उत्पन्न होता है। इसे सुबह एक गिलास दूध पीने के बाद ले सकते हैं।
फल और सब्जी

फल या सब्जी को अच्छे से धोकर ही काम में लेने चाहिए। क्योंकि इनके बाहरी छिलके पर पेस्टिसाइड्स यानि कीटनाशक हो सकते हैं।

कीटनाशक के अलावा छिलके के ऊपर टोक्सो-प्लाज्मा, लिस्टेरिआ जैसे पेरेसाइट हो सकते है। ये दोनों ही गर्भ के शिशु के लिए बहुत

नुकसान देह होते हैं। अतः विशेष कर सब्जियों को बहुत अच्छे से बहते पानी में धोकर काम लेना चाहिए।

ज्यादा समय तक फ्रिज में रखी हुई सब्जियाँ भी इस समय काम में नहीं लेगें तो बेहतर होता है। सब्जियाँ सही प्रकार से पका कर ही उपयोग

में लेनी चाहिए। इस समय कच्ची सब्जी विशेषकर पत्ते वाली बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। पालक आदि पत्तेदार सब्जी बहुत लाभदायक होती है

अतः इन्हे खायें, लेकिन यह अच्छे से धोकर और उबाल कर बनाई जानी चाहिए।

संतरा मौसमी

गर्भवस्था में नियमित रूप से सन्तरा या मौसमी खाने चाहिए। सन्तरा खाने से उलटी में आराम मिलता हैं, कब्ज नहीं होती हैं। इनसे मिलने वाले

खनिज और विटामिन आपके और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होते हैं। इनके नियमित उपयोग से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ, सुडौल, गोरा व सुंदर

त्वचा वाला होता हैं।

पालक

गर्भावस्था में पालक का सेवन किसी भी रूप में अवश्य करना चाहिए इससे शिशु को पोषक तत्व मिलते रहते हैं बच्चा स्वस्थ व गोरा होता हैं

तथा होने वाले बच्चे का वजन भी सही होता हैं । माँ व बच्चे दोनों में खून की कमी नहीं होती हैं।

पालक के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

टमाटर
टमाटर उनमे से एक है जो गर्भावस्था में खाये जाने चाहिए। सूप, जूस, सलाद आदि किसी भी रूप में टमाटर ले सकते हैं। टमाटर से मिलने

वाले तत्व गर्भावस्था में लाभदायक होते है विशेषकर आयरन, विटामिन D, विटामिन The, विटामिन Nited kingdom आदि। यह कमजोरी दूर करता है और

रक्त साफ करता है। शिशु को भी इससे बहुत लाभ मिलता है। लेकिन बहुत अधिक मात्रा में ना लें।

केले

केले के बारे में अक्सर भ्रांतिया होती है की खाए या नहीं। केला एक सम्पूर्ण आहार हैं, केले में पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर होते हैं अतः

केला खाया जा सकता है। इसे खाना खाने के बाद खाना चाहिए तथा केला पका हुआ होना चाहिए।

गाजर

गाजर प्रेग्नेंट महिला के लिए बहुत अच्छी होती है। गाजर सलाद के रूप में, गाजर का जूस या गाजर का हलवा ले सकते हैं। एक अन्य

लाभदायक तरीका यह है कि एक गिलास दूध और एक गिलास गाजर का जूस मिलाकर उबालें। जब आधा रह जाये तो गुनगुना रहने पर

इसमें मिश्री मिलाकर पियें। इस प्रयोग से बार बार गर्भपात होने भी बंद हो सकता है।

नारियल पानी

नारियल पानी में बहुत से लाभदायक तत्व होते है जो गर्भावस्था में फायदा करते हैं। अतः प्रेग्नेंट होने पर नारियल पानी पीना चाहिए। माना जाता

है कि नारियल पानी पीने से बच्चा गोरा व सुंदर होता हैं। नारियल पानी ताजा होना चाहिए और अच्छे हरे नारियल का होना चाहिए। नारियल

पानी का स्वाद अटपटा लगे तो इसे ना पियें। यह बासी हो सकता है।

मेवे

मेवे बहुत पौष्टिक होते है। गर्भावस्था में भी थोड़ी मात्रा में जरूर खाने चाहिए। लेकिन अधिक मात्रा में ड्राई फ्रूट्स नहीं खाने चाहिए विशेषकर

यदि आपको इनसे एलर्जी हो तब। कुछ मेवे ज्यादा एलर्जिक हो सकते है। इनका खास ध्यान रखना चाहिए इनमें मूंगफली, सिंगाड़ा, काजू,

पिस्ता और अखरोट शामिल हैं। इनसे स्किन में रेशेज भी हो सकते हैं। इन्हे कम मात्रा में ही लें। भीगी हुई बादाम खाना अधिक लाभप्रद होता

है। इसके लिए रात को चार पॉँच बादाम पानी में भिगो दें। सुबह इनके छिलके हटाकर अच्छे से चबाकर खायें । भीगी हुई मूंगफली भी खाई

जा सकती है।
सलाद

सलाद खाना लाभदायक होता है लेकिन इस समय सिर्फ घर में तैयार किया हुआ सलाद ही खाना चाहिए। रेस्टोरेंट में दिए गए सलाद शायद

उतना हाइजनिक नहीं हो जितने की आपको इस समय आवश्यकता होती है। उसमे लिस्टेरिआ टाइप के बैक्टीरिया हो सकते हैं जो आपके

शिशु के लिए ठीक नहीं हैं।

जूस

वैसे तो फलों के जूस आपके लिए फायदेमंद हैं। लेकिन बाजार में मिलने वाले जूस में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो आपको और आपके शिशु को

नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः घर के बनाये जूस ही लें तो बेहतर होगा। इन्हे भी फ्रेश निकाला हुआ ही लें। निकालने के बाद देर तक रखा हुआ

जूस नहीं लेना चाहिए। पेस्चराइज किये हुए जूस लिए जा सकते हैं।

चाय, कॉफी

चाय, कोफ़ी, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट आदि में कैफीन होता है। कुछ विशेष प्रकार की आइसक्रीम या एनर्जी ड्रिंक में भी कैफीन हो सकता है।

बहुत ज्यादा कैफीन वैसे भी नुकसान देह होता है और गर्भावस्था में तो यह खतरनाक हो सकता है। इनसे पेशाब ज्यादा आता है, इससे शरीर

में से पानी और कैल्शियम अधिक मात्रा में निकलते हैं। जो इस समय नहीं इस समय नहीं होना चाहिए। ज्यादा कैफीन के कारण जन्म के समय

बच्चे का वजन कम हो सकता है। अतः इन चीजों को कम मात्रा में ही लेना चाहिए जैसे एक या दो कप चाय या कॉफी ले सकते हैं।

हर्बल टी

कुछ लोग आपको हर्बल चाय पीने की सलाह दे सकते है। लेकिन हर्बल चाय के नाम पर आप क्या पी रहे होंगे ये शायद पता ही ना हो। इनसे

बजाय फायदे के नुकसान भी हो सकता है। अतः अच्छा होगा सादा चाय ही लें।

डिब्बा बंद खाना

बाजार में मिलने वाला डिब्बा बंद खाना गर्भावस्था में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। इसमें कई प्रकार के प्रेजर्वेटिव हो सकते है या खाना ज्यादा

पुराना हो सकता है। अतः इसके बजाय ताजा मौसमी फल और सब्जी का उपयोग करना चाहिए।

मिठाई

ज्यादा मीठा यानि ज्यादा शक्कर गर्भावस्था के लिए ठीक नहीं होती है। थोड़ी बहुत मिठाई खाई जा सकती है। गर्भावस्था में अक्सर मिठाई या

आइसक्रीम, चॉकलेट आदि के लिए क्रेविंग हो सकती है। ऐसे में इनकी कम मात्रा ही लें।

चाट, पतासी

बाहर ठेले पर मिलने वाली पतासी या चाट खाने की ऐसे समय बहुत इच्छा होती है। लेकिन यह सब खाना ऐसे समय में बिल्कुल उचित नहीं

होता। इनसे पेट ख़राब होना, दस्त, अपच आदि परेशानियां हो सकती हैं। चाट या पतासी का ज्यादा शौक हो तो पानी और मसाला या

चाट आदि घर पर बना हुआ ही काम में लें।

कृत्रिम मीठा

आर्टिफिशल स्वीटनर जैसे सेक्रीन आदि शिशु के लिए नुकसान देह हो सकते है अतः जिन चीजों में यह हो उनका उपयोग नहीं करना चाहिए।

जैसे बाजार में मिलने वाला बर्फ का गोला, कोल्ड ड्रिंक या कुछ टॉफी में सैक्रीन हो सकता है। इन्हे ना खाएं।

विटामिन

अति हर चीज की बुरी होती है। जरूरत से ज्यादा विटामिन भी नुकसान ही करते हैं। डाक्टर द्वारा बताये गए विटामिन पूरी मात्रा में जरुर

लेने चाहिए। अपनी मर्जी से किसी भी प्रकार की दवा या विटामिन की गोली नहीं लेनी चाहिए। इन दवाओं के गंभीर साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं।

किसी भी शंका का समाधान करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

मैदा से बने आहार

मैदा पचने में भारी होती है। मैदा से बनने वाली चीजें नहीं खानी चाहिए जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, कचोरी, समोसा आदि। इन्हे खाने से कब्ज हो

सकती है। इस समय चोकर युक्त आटे से बनी रोटी, सबसे अच्छा भोजन होता है।

बासी बचा खाना

अक्सर महिलाएँ बासी खाना खा लेती हैं। गर्भवस्था में ऐसा बिल्कुल न करें। सुबह का बना हुआ शाम को या शाम का बना हुआ सुबह नहीं

खाना चाहिए। फ्रिज में रखा हुआ भी नहीं। फ्रिज में रखने के बावजूद उसमे बैक्टीरिया हो सकते हैं जो नुकसान पंहुचा सकते है। अतः ताजा

बना हुआ गर्म भोजन ही खाना चाहिए।

पपीता

कच्चा या कम पका हुआ पपीता गर्भावस्था में बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। इसमें लेटेक्स नामक तत्व होता है जो गर्भाशय में संकुचन पैदा करके

गर्भपात का कारण बन सकता है। अतः पपीता नहीं खाना ही ठीक है।

बैंगन

ज्यादा मात्रा में बैगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन की तासीर गर्म होती है। बैगन खाने से बवासीर की समस्या बढ़ सकती है। कभी कभार थोड़ी

मात्रा में लिए जा सकते हैं।

शराब

इन दिनों फैशन के चलन के कारण महिलायें भी बेहिचक शराब का सेवन करने लगी हैं। वैसे तो यह नुकसान देह है ही लेकिन गर्भावस्था में तो

शराब बिल्कुल भी नहीं लेनी चाहिए। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी शिशु के दिमाग को प्रभावित कर सकती है। शराब गर्भपात का कारण भी बन

सकती है। ऐसे समय शराब पीने से नाल के माध्यम से अल्कोहोल भ्रूण तक चला जाता है जो शिशु में ऑक्सीजन तथा पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति

में बाधा पैदा करके महत्वपूर्ण अंगों को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण दिमाग और हृदय को बहुत नुकसान पहुंच सकता है।

अतः शराब बिल्कुल ना लें।

अंडा

यदि अंडा खाते हैं तो यह कच्चा बिल्कुल नहीं होना चाहिए पूरी तरह पका हुआ होना चाहिए । यदि बाजार से लाये गए या घर पर बनाये गए

केक आदि में अंडा हो तो इसे नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें साल्मोनेला बैक्टीरिया हो सकते हैं जो उल्टी या दस्त का कारण बन सकता है।

तिल

तिल में पाए जाने वाले तत्व पेट की मांसपेशियों का संकुचन बढ़ाकर गर्भपात का कारण बन सकते हैं। पहले तीन महीनो में इसकी संभावना

अधिक होती है। अतः पहले तीन महीनों में तो तिल बिल्कुल नहीं खाने चाहिए। बाद में भी न लें तो ही अच्छा है।

अनानास
अनानास की तासीर गर्म होती है। इसके अलावा अनानास में ब्रोमेलेन नामक तत्व होता है जो गर्भाशय ग्रीवा को कमजोर करके गर्भपात का

कारण बन सकता है। अतः गर्भावस्था में पाइनेपल का उपयोग उचित नहीं होता है। इसे नहीं खाना चाहिए।

अंगूर

अंगूर में पाया जाने वाला रेस्वेराट्रोल नामक तत्व गर्भावस्था के समय हार्मोन्स के स्राव को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण तकलीफ पैदा

हो सकती है। इसके अलावा अंगूर पर कीटनाशक ज्यादा मात्रा में छिड़का जाता है, जो धोने के बाद भी पूरी तरह निकल नहीं पाता। यह

आपके और शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। ज्यादा मात्रा में अंगूर खाने से पाचन की समस्या भी पैदा हो सकती है क्योकि अंगूर का

छिलका पचने में भारी होता है। अतः अंगूर कम ही खाने चाहिए वो भी पके हुए नर्म छिलके वाले हों तथा इन्हे जिन्हे अच्छे से धोकर खाना

चाहिए।

मेथी दाना

मेथी दाना की तासीर बहुत गर्म होती है। यह गर्भाशय में संकुचन पैदा करके गर्भपात का कारण बन सकती है। मेथी दाना कुछ दवाओं के साथ

लेने पर रिएक्शन हो सकता है। गर्भावस्था के समय मेथी का सेवन एलर्जी का कारण भी बन सकता है। अतः मेथी दाना गर्भावस्था में नहीं लेना

चाहिए।

आम

पके हुए आम कम मात्रा में खाये जा सकते है। कच्चे आम यानि केरी, केरी का अचार आदि नहीं खाने चाहिए या बहुत ही कम मात्रा में लें।

केरी की तासीर गर्म होती है।.

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